जयपुर बम धमाके : आरोपी को नाबालिग करार देकर रिहा करने का हाईकोर्ट का फैसला SC ने रखा बरकरार 

राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में जयपुर शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में एक आरोपी को नाबालिग करार दिया था. हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को पलट दिया था.

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राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

राजस्‍थान (Rajasthan) के जयपुर में साल 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों (Jaipur Bomb Blast) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा है. इस मामले में राजस्‍थान सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को नाबालिग करार देकर रिहा करने के हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 दिसंबर को सुनवाई की थी. 

दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में जयपुर शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में एक आरोपी को नाबालिग करार दिया था. हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को पलट दिया था, जिसने कहा था कि धमाके के समय आरोपी नाबालिग नहीं था. जबकि ज्वूनाइल जस्टिस बोर्ड ने माना था कि उस समय आरोपी नाबालिग था और उसे रिहा करने के आदेश दिए थे. 

हालांकि राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 8 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया. 

दरअसल, किशोर न्याय अधिनियम के तहत नाबालिग को अधिकतम तीन साल तक की सजा ही दी जा सकती है. 

आपको बता दें कि 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट में कुल 80 लोगों की जानें गई थीं, जबकि 170 लोग घायल हुए थे. 

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