आदित्य एल-1 ने तीसरी बार सफलतापूर्वक बदली कक्षा, अभी दो अर्थ-बाउंड फायर बाकी

आदित्य एल1 ने पृथ्वी की दो कक्षाएं पहले ही बदल ली थीं. पहली कक्षा 3 सितंबर को और दूसरी कक्षा 5 सितंबर को बदली थी. अब भारत के पहले सोलर मिशन ने तीसरी कक्षा आज सफलतापूर्वक बदली है.

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आदित्य एल1 ने तीसरी बार बदली कक्षा

भारत के सोलर मिशन आदित्य एल1 ने सफलतापूर्वक तीसरी बार भी कक्षा बदलने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तरफ से दी गई है. इसरो ने ट्वीट कर कहा कि आदित्य एल1 ने पृथ्वी की कक्षा को तीसरी बार बदलने की प्रक्रिया को बेंगलुरू के इस्ट्रैक सेंटर से सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. आदित्य एल1 की कक्षा बदलने की प्रक्रिया को बेंगलुरु में इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से निर्देशित किया गया था. इस मिशन की प्रक्रिया को  मॉरीशस, बेंगलुरु, पोर्ट ब्लेयर में ISRO के ग्राउंड स्टेशनों से ट्रैक किया गया. 

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15 सितंबर को चौथी बार बदलेगा कक्षा

इसरो की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक आदित्य एल1 की नई कक्षा 296 किमी x 71767 किमी है. अब अगली प्रक्रिया 15 सितंबर को सुबह 2 बजे के आसपास होगी. बता दें कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन आदित्य एल1 को 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया था.

आदित्य एल-1 ने तीसरी बार बदली पृथ्वी की कक्षा

आदित्य एल1 ने पृथ्वी की दो कक्षाएं पहले ही बदल ली हैं. पहली कक्षा 3 सितंबर को सफलतापूर्वक बदली थी. वहीं दूसरी कक्षा 5 सितंबर को बदली थी. अब भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 ने तीसरी कक्षा 10 सितंबर को बदली है. पृथ्वी की कक्षा बदलने का चौथा अभ्यास 15 सितंबर को 2 बजे के करीब निर्धारित है. ISRO के मुताबिक आदित्य एल1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा. इस दौरान 5 बार अर्थ बाउंड फायर आदित्यएल1 की कक्षाबदलने के लिए किया जाएगा.

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आदित्य एल-1 करेगा सूर्य का अध्ययन

अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 लैग्रेंज बिंदु 1 या एल-1 बिंदु से सूर्य का अवलोकन करेगा, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है. इसरो के मुताबिक L1 बिंदु के चारों ओर बिना किसी रुकावट या ग्रहण के सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. बता दें कि भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 के सफलतापूर्वक लॉन्च से इसरो के नाम ए और उपलब्धि जुड़ गई है. इससे पहले भारत का मिशन चंद्रयान-3 सफल रहा था. चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कर इसरो ने दनियाभर में अपनी अलग छाप छोड़ी है.

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