Israel-Palestine Conflict: कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में गाजा में संघर्ष-विराम का आह्वान करने वाले प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत के पुराने रुख के खिलाफ चली गई है. दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ने सही कदम उठाया है और भारत कभी आतंकवाद के पक्ष में खड़ा नहीं हो सकता.
भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने' शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा. इस प्रस्ताव में इजराइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था.
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि शत्रुता समाप्त हो सके.
मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं : प्रियंका गांधीकांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर किए अपने पोस्ट में महात्मा गांधी के उस कथन का उल्लेख किया कि 'आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है.' उन्होंने कहा, 'मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारा देश गाजा में संघर्ष-विराम के लिए हुए मतदान में अनुपस्थित रहा.''
प्रियंका गांधी ने कहा, 'हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी. इन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया. ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं. वे भारत के उस नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में उसके कदमों का मार्गदर्शन किया है.'
उन्होंने कहा, 'जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फिलिस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तब रुख अपनाने से इनकार करना और चुपचाप देखना गलत है.'
प्रियंका ने कहा कि यह उन सभी चीजों के विपरीत है, जिनके लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत हमेशा खड़ा रहा है.
भारत कभी भी आतंकवाद के पक्ष में नहीं होगा : मुख्तार अब्बास नकवीप्रियंका गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जो लोग “शर्मिंदा और स्तब्ध” हैं, उन्हें इसका एहसास होना चाहिए कि भारत कभी भी आतंकवाद के पक्ष में नहीं होगा.
पूर्व अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘भारत के वोट को लेकर स्पष्ट रूप से बताया गया है. इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर हमारी स्थिति दृढ़ और तर्कसंगत है. जो लोग आतंक का साथ देना चुनते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा करते हैं....''
उन्होंने प्रियंका गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘जो लोग आपको राहुल गांधी से 'बेहतर' दिखाने की कोशिश में हैं, वे आपको मूर्ख बना रहे हैं.'
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि गाजा में संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर मतदान से भारत का अनुपस्थित रहना 'चौंकाने वाला' है और यह दर्शाता है कि भारतीय विदेश नीति अब ‘‘अमेरिकी साम्राज्यवाद के अधीनस्थ सहयोगी होने'' के रूप में आकार ले रही है.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव डी राजा ने ‘गाजा में इस नरसंहार आक्रामकता को रोकें' शीर्षक वाले बयान में कहा कि भारत का यह कदम फिलिस्तीन मुद्दे को उसके लंबे समय से चले आ रहे समर्थन को नकारता है.
बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने भारत सरकार के रुख की आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इंसानियत को बचाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भारत मज़लूमों को उनके हाल पर छोड़ देगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मानवता के मूल सिद्धांतों के साथ रहकर दुनिया में हमारी विशेष पहचान की रक्षा करने और गाज़ा में तड़पते बच्चों और डूबती इंसानियत को बचाने में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह करता हूं.''
इजराइल-हमास संघर्ष संबंधी प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद ‘‘हानिकारक'' है और उसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं है तथा दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने वालों की बातों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर गहराई से चिंतित होना चाहिए.
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