IIT में SC/ST स्टूडेंट की खुदकुशी रोकने के लिए क्या करें? आनंद कुमार और दर्शन सोलंकी के पिता की राय

दर्शन सोलंकी के पिता ने NDTV से कहा कि अगर भविष्य में इन वर्गों से आने वाले छात्रों को आत्महत्या करने से रोकना है तो सबसे पहले IIT में SC/ST और OBC वर्ग के छात्रों के लिए अलग से ही छात्रावास की व्यवस्था करनी चाहिए.

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नई दिल्ली:

इस बार IIT काउंसिल की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई. इन मुद्दों में खास तौर पर IIT की फीस, फैकल्टी के लिए रिजर्वेशन का मामला, IIT में हुए आत्महत्या और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सहित कई मुद्दे शामिल थे. यह बैठक ऐसे समय में हुई जब देश भर के अलग-अलग IIT  के कैंपस में छात्रों द्वारा सुसाइड के मामले सामने आ रहे हैं. बता दें कि पिछले महीने लोकसभा को सूचित किया गया था कि 2018 से IIT में 33 छात्रों ने आत्महत्या की है. जिनमे से लगभग आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग से हैं. हाल ही में IIT बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी और IIT मद्रास के दो छात्रों की आत्महत्या ने इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी है. देश के तमाम IIT  में  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों द्वारा अधिक संख्या में आत्महत्या करने के पीछे के कारणों को लेकर NDTV ने सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार और दर्शन सोलंकी के पिता रमेश भाई सोलंकी से खास बात की. आइये जानते हैं उन्होंने इस मुद्दे पर क्या राय रखी...

"बेटे ने कहा था - पिताजी को मत बताना मैं चार साल झेल लूंगा"

दर्शन सोलंकी के पिता रमेश भाई सोलंकी ने NDTV से कहा कि  IIT में जब मेरा बेटा था तब मुझे इसकी जानकारी नहीं थी कि वहां आखिर क्या कुछ होता है. लेकिन जब अब दर्शन हमारे बीच नहीं है तो मुझे इसकी जानकारी अच्छे से हैं कि IIT में हमारे वर्ग से आने वाले बच्चों के साथ क्या कुछ होता है. मुझे ये बाद में पता चला कि दर्शन के साथ वहां जातिगत भेदभाव हो रहा था. और एक बयान में ये भी आया है कि उदय मीणा जो वहां एससी-एसटी सेल का कंवेनर है, उससे दर्शन मिला था. दर्शन ने उदय मीणा से रूम चेंज करने को लेकर बात भी की थी. इसपर दर्शन ने उसे बताया था कि मेरे रूम पार्टनर को जब मेरी जाति के बारे में पता चला तो अब उसका व्यवहार बदल गया है और वो मेरे से अच्छे से बात तक नहीं कर रहा है. दर्शन के पिता ने कहा कि इन सभी बातों की जानकारी मुझे बाद में मिली. दर्शन कभी मेरे से वहां हो रही तकलीफ और जातिगत भेदभाव को लेकर बात नहीं की थी. अगर वो मुझसे बात करता तो उसे पता था कि मेरे पिताजी ये सब सुनकर मुझे तुरंत के तुरंत अहमदाबाद वापस बुला लेंगे. और मुझे IIT में पढ़ने नहीं देंगे. इसलिए उसने मेरी  बेटी और भाभी को बताया था. उसने ये भी कहा था कि ये सिर्फ चार साल की बात है मैं मैनेज कर लूंगा. आप पिताजी को मत बताना. 

ऐसी घटनाएं बेहद दुखद

NDTV से बातचीत में आनंद कुमार ने कहा कि मेरा ये मानना है कि दर्शन सोलंकी के साथ जैसी घटना हुई वो बहुत दुखद घटना है. ये सिर्फ किसी माता-पिता के लिए ही नहीं बल्कि पूर समाज और देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. IIT जैसे संस्थान में ऐसी घटनाएं घट रही हैं. मैं दावा तो नहीं कर सकता है कि IIT जैसे संस्थानों में जातिगत आधार पर भेदभाव किया जाता है लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि ऐसी घटनाएं सुनने में आती हैं कि जब बच्चा ओबीसी से है, एससी से है एसटी से है तो कई बार वो पढ़ाई के मामले में, बातचीत के मामले में माहौल के मामले में जब वो पिछड़ता है या वो कंपीट नहीं कर पाता है तो उसे उस समय कोई सहयोग देने की कोई व्यवस्था नहीं है. कोई काउंसलिंग की व्यवस्था नहीं है. 

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इन संस्थानों में एससी-एसटी कमेटी सिर्फ खानापूर्ती है

आनंद कुमार ने NDTV से कहा कि जब किसी पिछड़े या अति पिछड़े वर्ग के छात्रों को या फिर एससी-एसटी समूदाय से आने वाले छात्रों को काउंसलिंग की जरूरत होती है तो उन्हें समय पर बेहतर काउंसलिंग नहीं मिल पाती. ऐसे में इन संस्थानों में एससी-एसटी कमेटी का होना सिर्फ खानापूर्ती की तरह लगता है. इस कमेटी द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाता है. कई बार इससे बच्चों को मनोबल टूट जाता है. कई बार ऐसा होता है कि बच्चा हिंदी में बात करता है और अपनी बात बताना चाहता है लेकिन उसी समय प्रोफेसर अंग्रेजी में बात कर रहे होते हैं जिससे बच्चा और डर जाता है. ऐसे में प्रोफेसर या उस कमेटी में जो भी लोग हैं उन्हें चाहिए कि वो उसी भाषा में बात करें जिसमे बच्चा बात कर रहा है.  क्योंकि जब बच्चा अंग्रेजी में बोली गई चिजों को नहीं समझता और सभी के बीच में पूछता है तो उस समय सभी लोग उसका मजाक बनाते हैं. ये गलत है. इससे बच्चों को मनोबल काफी डाउन हो जाता है. 

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SC/ST और OBC के लिए अलग हो छात्रावास

दर्शन सोलंकी के पिता ने NDTV से कहा कि अगर भविष्य में इन वर्गों से आने वाले छात्रों को आत्महत्या करने से रोकना है तो सबसे पहले IIT में SC/ST और OBC वर्ग के छात्रों के लिए अलग से ही छात्रावास की व्यवस्था करनी चाहिए. या फिर SC/ST सेल की बात सुननी चाहिए. क्योंकि मैं ये नोटिस किया है कि दर्शन ने भी उदय मीणा से बात की थी लेकिन दर्शन के बात करने के बाद उस मामले को कहीं दर्ज नहीं किया गया. अगर उसकी शिकायत पर मामला दर्ज किया गया होता तो हमे लगता कि ऐसे सेल का कोई फायदा निकल रहा है. IIT वाले बोलते हैं कि दर्शन ने ऐसी कोई बात बताई ही नहीं जबकि उदय मीणा का कहना है कि दर्शन ने उससे ये सभी बाते साझा की थीं. अगर उस समय उदय मीणा दर्शन की शिकायत लेते तो ये बात सामने भी आती कि IIT में ऐसा हो रहा है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. 

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SC/ST और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए सम्मान की भावना होना जरूरी 

आनंद कुमार ने कहा कि आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं नहीं हों इसके लिए IIT काउंसिल की बैठक में कुछ अहम फैसले होने जरूरी हैं. मुझे लगता है कि काउंसिल को इस बात पर जोर देना चाहिए कि जो बच्चे पहली बार IIT आ रहे हैं उनके दीमाग में पहले दिन से SC/ST और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए सम्मान की भावना पैदा करना जरूरी है. अगर पहले दिन से सभी को साथ लेकर इस तरह की बात को बच्चों के दीमाग में डाला जाएगा तो इस तरह की घटनाओं को रोकने या कम करने में मदद मिलेगी. जरूरत इस बात की है कि IIT का प्रशासन ऐसे मामलों को लेकर काफी सख्त हो. साथ ही साथ हर एक महीने में ऐसे कार्यक्रम को आयोजित किया जाना चाहिए जिसके  आपसी प्रेम बढ़ाने में मदद मिले. चाहें तो बच्चों को ऐसी फिल्म दिखाई जाए जिससे उनके बीच में आपसी प्रेमभाव बढ़े, या तो उन्हें पिकनिक पर भी लेकर जा सकते हैं. 

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