प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के लॉन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. उन्होंने वहां कई योगासन किए. यूएन का लॉन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से आमंत्रित योग में रुचि लेने वाले व्यक्तियों से भरा हुआ था. योग अभ्यास करने से पहले पीएम मोदी ने सभा को संबोधित किया और दूर-दूर से आए लोगों को धन्यवाद दिया. पीएम मोदी ने इस आयोजन में सफेद योग टी-शर्ट और पैंट पहन रखी थी.
यह हैं वे योगासन जो कि यूएन मुख्यालय के लॉन में पीएम मोदी के साथ सैकड़ों लोगों ने किए :
ताड़ासन: यह ताड़ के पेड़ या पर्वत मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है. यह नए योग सीखने वालों और अनुभवियों के लिए समान रूप से अच्छा है. यह सरल दिखता है, जिसमें व्यक्ति को खड़े होकर अपने हाथों को सीधा रखकर सांस लेने और छोड़ने के दौरान उन्हें ऊपर खींचना होता है. आयुष मंत्रालय के अनुसार, ताड़ासन शरीर में स्थिरता और दृढ़ता लाता है, पीठ की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के जमाव को दूर करने में मदद करता है और दोषपूर्ण पॉस्चर को ठीक करता है.
अर्धचक्रासन: यह आसन हाथों को उपर की ओर फैलाकर और धीरे से पीछे की ओर झुककर किया जाता है. हाथों को सीधी रेखा में रखा जाता है. कान, कोहनी और घुटने भी सीधे होते हैं और सिर ऊपर होता है. यह आसन बाहों और कंधे की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
पादहस्तासन: इसमें हाथ से पैर या आगे की ओर झुकने की मुद्रा बनाई जाती है. इसमें शरीर के ऊपरी हिस्से को पैरों पर झुकाना होता है और ध्यान केंद्रित करना होता है. योग शुरू करने वालों के लिए यह एक सरल योग मुद्रा है. यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में मदद करता है, पाचन तंत्र में सुधार करता है और महिलाओं को मासिक धर्म की समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है.
वज्रासन : यह एक सरल बैठकर किया जाने वाला योग आसन है. इसका नामकरण संस्कृत शब्द वज्र से किया गया है, जिसका अर्थ है वज्र या हीरा (इसलिए इसे हीरे की मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है). इसमें दोनों पैरों को मोड़कर घुटने टेकने की स्थिति में बैठना होता है. कूल्हे को बाहर की ओर पैर की उंगलियों के साथ एड़ी पर रखा जाता है. वज्रासन पेट के निचले हिस्से में रक्त संचरण बढ़ाता है, पाचन में सुधार करता है और पेट में अत्यधिक गैस और दर्द से राहत देता है. यह पैरों और जांघों की नसों को भी मजबूत करता है.
अर्ध उष्ट्रासन: यह आधे ऊंट वाली योग मुद्रा कही जाती है. यह मुद्रा वज्रासन से शुरू होती है और इसमें हाथों को कमर पर रखकर सिर को थोड़ा पीछे की ओर घुमाते हुए पूरे शरीर के ऊपरी हिस्से को खींचना होता है. यह मुद्रा मोटापा कम करने और अधिकतम बीएमआई बनाए रखने में मदद करती है. यह ब्लड प्रेशर पर भी सकारात्मक असर डालता है.
शशांकासन: यह खरगोश की मुद्रा है जो कि जिसमें आगे की ओर झुकना होता है. यह शरीर और मन को आराम और स्फूर्ति देती है. इसका अभ्यास करने के लिए योगी को वज्रासन में बैठना होता है. बाजुओं को सीधे ऊपर की ओर उठाकर शरीर को जांघों के ऊपर तब तक मोड़ा जाता है जब तक कि हाथ और माथा जमीन को न छू ले. इस गतिशील मुद्रा को समाप्त करने के बाद प्रारंभिक स्थिति में वापस आना होता है. शशांकासन मस्तिष्क को तरोताजा करता है, जिससे याददाश्त और एकाग्रता बढ़ती है और थकान, क्रोध और भावनात्मक अस्थिरता कम होती है.
उत्ताना मंडूकासन : इसे खिंचाव वाली मेंढक की मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है. योग करने वाले को वज्रासन में बैठना होता है. इस मुद्रा में आने के लिए घुटनों को फैलाकर हाथों को कंधे के ऊपर ले जाकर हाथों को सिर के पीछे जोड़ना होता है. सिर को थोड़ा ऊपर की ओर झुकाना होता है और इस दैरान श्वास सामान्य होनी चाहिए. पीछे की ओर कोण बनाने से पूरी रीढ़, कंधे, वक्ष और गर्दन का हिस्सा मजबूत होता है. यह नरवस सिस्टम तंत्र को भी मजबूत करता है.
मकरासन : इस आसन में मुद्रा आराम कर रहे मगरमच्छ जैसी होती है. मगरमच्छ अपनी गर्दन और चेहरे को पानी के ऊपर रखता है. इस मुद्रा में भी कुछ ऐसा ही रूप दिखता है. मकरासन शरीर को स्ट्रेच करने के लिए मददगार आसन है. इसमें पैरों की मांसपेशियों और बाजुओं के पिछले हिस्से को सीधा करके फैलाया जाता है. मकरासन अन्य आसनों के कारण होने वाले तनाव को दूर करता है.
भुजंगासन : इसे नाग की मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है. यह सबसे लोकप्रिय योग आसनों में से एक है. यह सूर्यनमस्कार में भी शामिल होता है. इसमें पेट के बल लेटकर हाथों को छाती के बगल में रखना होता है. अपने हाथों से (उन्हें नीचे की ओर धकेलते हुए) छत की ओर देखते हुए सिर के साथ पूरे शरीर को ऊपर उठाना होता है. यह दर्द से राहत देता है. कंधों और गर्दन की मांसपेशियों को खोलता है. पेट को टोन करता है, पूरी पीठ और कंधों को मजबूत करता है. यह ऊपरी और मध्य पीठ के लचीलेपन में सुधार करता है और छाती को फैलाता है.
पवनमुक्तासन : यह गैस और कब्ज से निपटने में बहुत मददगार होता है. इसका अभ्यास करने के लिए पीठ के बल पैरों को एक साथ मिलाकर और हाथों को शरीर के बगल में रखकर लेटना होता है. सांस अंदर लेकर जैसे ही सांस छोड़ें, अपने दोनों घुटनों को अपनी छाती की ओर लाकर अपने हाथों से जांघ को अपने पेट पर दबाना होता है. फिर से सांस लेकर जैसे ही सांस छोड़ी जाए, अपने सिर और छाती को फर्श से ऊपर उठाकर अपनी ठुड्डी को अपने घुटनों से स्पर्श करना होता है.
शवासन : यह एक आराम देने वाला आसन है. इसका प्रयोग आम तौर पर योग सत्र के अंत में किया जाता है. इसके नाम का वास्तव में अर्थ 'शव जैसी मुद्रा' है. इस आसन का अभ्यास करने के लिए जमीन पर लेट कर हाथ और पैरों को आराम से फैलाना होता है और आंखों को बंद करके एकाग्रचित्त होना होता है.