एक छोटे से गांव से SC तक… : CJI खन्ना ने साथी जज की विवाई पर उनके सफर को बताया 'इंस्पायरिंग'

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस रविकुमार का शुक्रवार को आखिरी कार्यदिवस है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड ( SCORA) की ओर से उनका विदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने केरल के एक छोटे से गांव से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के अपने साथी  जस्टिस सीटी रविकुमार के सफर को ' इंसपयारिंग' बताया.. CJI खन्ना ने कहा कि जस्टिस रविकुमार का ये सफर हर किसी के लिए प्रेरणादायक है और उन्होंने एक छोटे से गांव से लेकर जिस तरह सुप्रीम कोर्ट का जज बनने का सफर तय किया वो एक असाधारण उपलब्धि है.  CJI खन्ना ने कहा कि पिछले कुछ सालों में जस्टिस रविकुमार को उन्होंने बहुत नज़दीक से देखा है और वो बहुत मेहनती जज हैं.

उन्होंने खुद से तुलना करते हुए कहा कि वो दिल्ली में पैदा हुए और यहां जिला अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक उनकी पहुंच थी.  लेकिन जिस तरह जस्टिस रविकुमार एक छोटे से गांव से जहां जिला अदालत भी नहीं थी, वहां से देश की सबसे बड़ी अदालत पहुंचे, वो भी एक जज के तौर पर, वो कोई आसान उपलब्धि नहीं है. 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस रविकुमार का शुक्रवार को आखिरी कार्यदिवस है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड ( SCORA) की ओर से उनका विदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया.. इस दौरान SCORA के अध्यक्ष विपिन नैयर, वाइस प्रेसिडेंट अमित शर्मा और सेकेट्री निखिल जैन ने जस्टिस रविकुमार का सम्मान करते हुए उन्हें ट्राफी भेंट की. 

Advertisement
सीटी रविकुमार का जन्म 5 जनवरी 1960 को केरल के अलप्पुझा जिले के मावेलिकरा के पास थझाकारा नामक छोटे से गांव में हुआ था. उनके पिता के ओ थेवन चंगनास्सेरी मजिस्ट्रेट कोर्ट में बेंच क्लर्क थे.

जस्टिस रविकुमार को 26 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और उन्होंने 31 अगस्त 2021 को शपथ ली. वो केरल हाईकोर्ट के पांचवें न्यायाधीश थे, जो उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाले बिना सुप्रीम कोर्ट के जज बने.

Advertisement

रविकुमार ने 12 जुलाई 1986 को वकील के रूप में नामांकन कराया. 1990 में वो केरल हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे विभिन्न अदालतों में सिविल, आपराधिक, सेवा और श्रम मामलों में स्वतंत्र अभ्यास शुरू किया.  उसके बाद उन्हें केरल उच्च न्यायालय में सरकारी वकील, अतिरिक्त सरकारी वकील और विशेष सरकारी वकील (एससी/एसटी) के पद पर नियुक्त किया गया. उन्हें 5 जनवरी, 2009 को केरल उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 15 दिसंबर, 2010 को स्थायी किया गया.

Advertisement


 

Featured Video Of The Day
Waqf Law: क्या Hindu ट्रस्टों में भी Muslims को इजाजत देंगे? Supreme Court ने केंद्र से पूछे सवाल
Topics mentioned in this article