- नए रेलवे टर्मिनल्स का निर्माण और मौजूदा टर्मिनलों पर प्लेटफॉर्म व शंटिंग सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा
- रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने सभी जोन को समयबद्ध योजना बनाने और संचालन क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं
- 48 चुने गए शहरों में स्टेशन और आसपास के यार्ड की क्षमता बढ़ाकर ट्रेनों की आवाजाही को बेहतर बनाया जाएगा
केंद्र सरकार आने वाले सयम में देश के 48 बड़े शहरों से चलने वाली ट्रेनों की संख्या को दोगुना करने जा रही है. इसके लिए रेलवे ढांचे को और मजबूत करने की योजना पर काम शुरू हो गया है. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक ट्रेनों को संभालने की क्षमता डबल हो जाए. रेल मंत्रालय के अनुसार, क्षमता बढ़ाने के लिए शहरों के अंदर और आसपास चिन्हित कर नए रेलवे टर्मिनल्स का निर्माण किया जाएगा. साथी ही मौजूदा रेलवे टर्मिनलों पर नए प्लेटफॉर्म, स्टेबलिंग लाइन, पिट लाइन और बेहतर शंटिंग सुविधाएं बनाई जाएंगी. ट्रेनों का बेहतर रखरखाव और आवाजाही बढ़ाने के लिए मेंटेनेंस सुविधाएं और मेगा कोचिंग कॉम्प्लेक्स विकसित होंगे, सिग्नल सिस्टम अपग्रेड, मल्टी ट्रैकिंगन और अन्य ट्रैफिक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.
बोर्ड के सीईओ ने सभी जोन को लिखा पत्र
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार ने सभी जोन के महाप्रबंधकों (GM) को लिखे पत्र में कहा है कि प्रस्तावित योजना ऐसी बनाई जाए तो तय समय-सीमा के अंदर तैयार की जा सके. साथ ही सभी रेलवे जोन को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टर्मिनल के अलावा डिवीजन, स्टेशन और यार्ड की क्षमता भी बढ़ाई जाए, जिससे संचालन में कोई रुकावट न रहे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोचिंग टर्मिनलों का विस्तार किया जा रहा है ताकि अलग-अलग शहरों में रेलवे लाइनों और संचालन क्षमता को बढ़ाया जा सके.
टर्मिनल्स के साथ स्टेशनों की बढ़ेगी क्षमता
मंत्रालय का कहना है कि टर्मिनल स्टेशन के साथ-साथ आसपास के स्टेशनों की भी क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि पूरा सिस्टम संतुलित रहे. उदाहरण के लिए पुणे में पुणे स्टेशन के साथ हड़पसर, खड़की और आलंदी को भी शामिल किया गया है. यह योजना लोकल और एक्सप्रेस/मेल दोनों तरह की ट्रेनों के लिए होगी.
48 शहरों को हुआ चुनाव
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के 48 शहरों को चिन्हित किया गया है, जहां यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यहां ट्रेनों की संख्या दोगुनी करने की जरुरत है. इसलिए इन शहरों के स्टेशनों की क्षमता आने वाले 5 साल में चरणबद्ध तरीके से बढ़ाई जाएगी. इसके लिए एक समग्र योजना बनाई जाएगी, जिसे प्लानिंग डायरेक्टोरेट को भेजा जाएगा.
किन शहरों को शामिल किया गया है?
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलौर, पटना, अमदावाद, लखनऊ, पुणे, नागपुर, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर, मथुरा, अयोध्या, आगरा, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, चंडीगढ़, लुधियाना, अमृतसर, इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जम्मू, जयपुर, जोधपुर, वडोदरा, सूरत, मड़गांव, कोचिन, पुरी, भुबनेश्वर, विशाखापट्टनम, विजयवाडा, तिरुपति, हरिद्वार, गुवाहाटी, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, मैसूर, कोयंबटूर, टाटानगर, रांची, रायपुर और बरैली शामिल है.
तीन भागों में पूरा होगा काम
अधिकारी ने बताया कि योजना में उन सभी कार्यों को शामिल किया जाएगा जो पहले से मंजूर हैं और चल रहें हैं साथ ही नए प्रस्तावित हैं. यात्रियों को तुरंत फायदा मिले इसके लिए कार्यों को तीन हिस्सों, तुरंत, कम अवधि और लंबी अवधि, में बांटा जाएगा. उन्होंने कहा कि फैसला सीधा यात्रियों के लिए लाभदायक होगा क्योंकि क्षमता बढ़ने से टिकटों की उपलब्धता आसानी से होगी, जिससे इन शहरों और इसके आसपास के क्षेत्रों की यात्रा सुविधाजनक हो जाएगी.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एक स्टडी के तहत भारतीय रेलवे ने 20 शहरों को चिन्हित किया है, जहां यात्रियों की अत्यधिक भीड़ है. इन सभी जगहों पर "मेगा कोचिंग टर्मिनल" का निर्माण कराया जाएगा. यह कदम देशभर में रेलवे कनेक्टिविटी को बेहतर करने के साथ ही रेल नेटवर्क को और मजबूत करेगा.
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