INDIA या भारत! क्या बदला जा सकता है देश का नाम? क्या कहता है संविधान?

संविधान में India और भारत दोनों ही शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, यानी दोनों ही शब्द सही हैं. वैसे ऐतिहासिक तथ्य ये है कि हमारे देश को सदियों से भारत और भारतवर्ष कहा जाता रहा है.

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भारत का नक्शा.

नई दिल्ली:

क्या हमारे देश का नाम सिर्फ भारत रहेगा? क्या देश के नाम से INDIA शब्द को हटाया जा सकता है? संसद के विशेष अधिवेशन से ठीक पहले ये चर्चा तेज़ हो गई है. सवाल उठ रहा है कि क्या 18 से 22 सितंबर को होने वाले इस विशेष सत्र में देश के नाम से INDIA हटाने को लेकर सरकार कोई विधेयक ला सकती है? दरअसल ये चर्चा तेज हुई है राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के एक निमंत्रण पत्र से.

राष्ट्रपति की ओर से ये निमंत्रण पत्र जी20 देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने आ रहे सभी देशों के प्रतिनिधियों को रात्रिभोज के लिए भेजा गया है. इसमें अंग्रेज़ी में President of Bharat लिखा हुआ है, जबकि आमतौर पर ऐसे निमंत्रण पत्रों में अंग्रेजी में President of India और हिंदी में भारत के राष्ट्रपति लिखा होता है.

राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र में 'भारत' शब्द पर सियासत तेज
राष्ट्रपति के इस निमंत्रण पत्र के सामने आने से चार दिन पहले एक सितंबर को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी देश के नाम के तौर पर भारत शब्द का इस्तेमाल करने पर जोर दिया था. इस बयान के तीन-चार दिन के अंदर ही राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र में ऐसी ही बात सामने आने पर देश की सियासत और गरमा गई है. इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष के नेता आमने-सामने आ गए हैं.

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र के बाद ट्वीट में लिखा, "REPUBLIC OF BHARAT -  खुश हूं और गर्व है कि हमारी सभ्यता साहस के साथ अमृतकाल की ओर बढ़ रही है."

उधर कई विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि सरकार विपक्षी गठबंधन से डर गई है, जिसका नाम 'INDIA' है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 'इंडिया' गठबंधन के नाम के चलते देश का नाम बदलकर भारत रख रहे हैं. अगर इंडिया गठबंधन ने अपना नाम भारत रख लिया, तो क्या देश का नाम बीजेपी कर देंगे?

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वहीं टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इसमें नया क्या है, लेकिन पूरी दुनिया इंडिया नाम से जानती है, आज ऐसा क्यों हो गया कि देश का नाम 
ही बदल रहे हैं?

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कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और आरजेडी नेता तथा बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी उसका विरोध किया और केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. तेजस्वी ने कहा कि संविधान से लेकर हर तरफ इंडिया और भारत दोनों शब्दों का इस्तेमाल होता है. दरअसल वो 'इंडिया' अलायंस से डरे हुए लोग हैं.

उधर विपक्ष के इन सवालों का बीजेपी ने भी उन्हीं तेवरों में जवाब दिया. असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि कांग्रेस का 'इंडिया' अलायंस अपनी जगह है, लेकिन आदिकाल से भारत है औ जब तक चांद-सूरज रहेगा भारत भी रहेगा. सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत से क्या दिक्कत है. क्या विपक्ष को अब नाम से भी दिक्कत होने लगी.

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संविधान में भारत और इंडिया दोनों शब्दों का इस्तेमाल
वैसे इस मामले में चर्चा आगे बढ़ाने से पहले ये समझना ज़रूरी है कि देश के नाम को लेकर संविधान में क्या कहा गया है. संविधान का अनुच्छेद 1.1 ये बताता है कि आधिकारिक या अनाधिकारिक मक़सद के लिए देश का नाम क्या होगा. ये अनुच्छेद कहता है कि 'India , that is Bharat, shall be an union of states' जबकि हिंदी में लिखा है भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा.

संविधान में India और भारत दोनों ही शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, यानी दोनों ही शब्द सही हैं. वैसे ऐतिहासिक तथ्य ये है कि हमारे देश को सदियों से भारत और भारतवर्ष कहा जाता रहा है. पौराणिक साहित्य और महाभारत में भी इसका उल्लेख है.

वैसे भारत शब्द के इस्तेमाल की मांग नई नहीं है. कई बार ये मांग अलग अलग शक्ल में सामने आती रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के लोकसभा सदस्य के तौर पर 13 मार्च, 2015 को लोकसभा में संविधान के अनुच्छेद 1 में बदलाव के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया था.

सुप्रीम कोर्ट में भी गया है देश के नाम का मामला
ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा चुका है. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में एक जनहित याचिका पर विचार से इनकार कर दिया था. याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने का निर्देश दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस एके सीकरी ने याचिकाकर्ता निरंजन भटवाल को कहा कि वो इस सिलसिले में पहले सरकार के संबंधित विभाग में जाएं.

केंद्र सरकार ने SC को बताया था, देश को इंडिया की जगह भारत कहने की ज़रूरत नहीं
इसी मामले में 2015 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि देश को इंडिया की जगह भारत कहने की ज़रूरत नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोर्ट को बताया था कि देश के नाम के मुद्दे पर संविधान सभा में विस्तार से बहस हुई थी और अनुच्छेद 1 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था. ये भी कहा गया कि भारत नाम संविधान के मूल ड्राफ्ट में शामिल नहीं था. संविधान सभा में चर्चाओं के दौरान भारत, भारतभूमि, भारतवर्ष, INDIA that is Bharat और Bharat that is India पर विचार किया गया. केंद्र ने कहा कि संविधान सभा में चर्चा के बाद से हालात में ऐसे कोई बदलाव नहीं आए हैं कि नाम की समीक्षा की जाए.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विकास सिंह कहते हैं कि भारत शब्द के इस्तेमाल के लिए संविधान में संशोधन की ज़रूरत नहीं है. वहीं संविधान के मामलों के जानकार और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य का कहना है कि अगर सब जगह इंडिया के स्थान पर भारत किया गया, तो संविधान में भी संशोधन की ज़रूरत होगी.

देश के नाम पर चर्चा हो रही है, लिहाज़ा संविधान के अनुच्छेद 1.1 को एक बार फिर देख लेते हैं. ये अनुच्छेद कहता है कि 'India , that is Bharat, shall be a union of states' जबकि हिंदी में लिखा है भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा.

यानी संविधान के हिसाब से दोनों शब्द सही हैं. अगर ऐसा है, जो है, तो ये नई चर्चा क्यों? कई जानकार मानते हैं कि इसके पीछे सियासत ज़्यादा है.

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