पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ कश्मीर सहित सभी बड़े मुद्दों को बातचीत के जरिये सुलझाने की जरूरत जताई है. पाकिस्तान के पीएम के इस बयान वाले दिन, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने भी लगभग ऐसी ही राय जताई है. फारुक ने कहा है कि कश्मीर समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करेगा. पाकिस्तान के नाम का जिक्र किए बिना फारुक अब्दुल्ला ने कहा, "कश्मीर की समस्या खत्म नहीं होगी. मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि आतंकवाद तब तक बना रहेगा, जब तक हम अपने पड़ोसी से बात नहीं करते और इसका सही समाधान नहीं निकालते." फारुक के अनुसार, भारत को दशकों से चली आ रही इस समस्या का वास्तविक समाधान तलाशने की जरूरत है.
फारुक के मुताबिक, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में पाकिस्तान की यात्रा से पहले उनसे राय मांगी थी तब भी उन्होंने (फारुक ने) दोनों देशों को एकजुट होने और आपसी विश्वास की बहालीका संदेश दिया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा पीएम (नरेंद्र मोदी) ने भी साफ तौर पर कहा है कि जंग किसी समस्या का समाधान नहीं है. जम्मू-कश्मीर राज्य के सीएम रहे फारुख ने देश के कुछ मौजूदा घटनाक्रमों को लेकर नाखुशी जताई. उन्होंने कहा, "संस्थानों, राज्यपालों और उप राज्यपाल को देखिए....वे किस तरह संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं..." 85 साल के फारुख एक पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम में बोल रहे थे. किताब 'अ लाइफ इन द शेडो ऑफ मेमॉयर (A Life in the Shadows A Memoir)' को खुफिया एजेंसी RAW के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ( A S Dulat) ने लिखा है जो वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त हुए हैं.
अब्दुल्ला ने कहा, "भारत एक अनूठा देश है और ऐसा इसलिए है क्योंकि हम सब एक साथ सोचते हैं. यदि मुल्क को तरक्की करनी है तो विभाजन को खत्म करना होगा...हमें गांधी के भारत में लौटना होगा. जब तक हम एक नहीं होंगे, देश मजबूत नहीं हो सकता. " 1965 बैच के रिटायर IPS अधिकारी दुलत ने भी कहा कि "आतंकवाद (जम्मू-कश्मीर में) तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि हम पाकिस्तान से बातचीत नहीं करते."
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