भारत भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सेना के तीनों अंगों और रक्षा प्रतिष्ठान की अन्य प्रमुख शाखाओं के बीच तालमेल बढ़ाने के अपने प्रयासों के साथ संयुक्त सैन्य सिद्धांत तैयार करने की प्रक्रिया में है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. रक्षा मंत्रालय सेना के तीनों अंगों (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) की एकजुटता के लिए पहले से ‘थिएटराइजेशन' प्रक्रिया के संबंध में एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है. 22 सितंबर को एक सम्मेलन में संयुक्त सिद्धांत से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया.
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस तरह के पहले ऐतिहासिक सम्मेलन का उद्देश्य सिद्धांत के निर्माण में मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टॉफ (मुख्यालय आईडीएस) और सेना के तीनों अंगों के बीच आपसी समझ में तालमेल बिठाना और कमियों को दूर करने के साथ संयुक्त सिद्धांतों की प्रगति की समीक्षा करना था.''
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इससे सैद्धांतिक मुद्दों पर सर्वोत्तम प्रथाओं और जारी पहल को साझा करने में भी मदद मिली.''
‘संयुक्त सिद्धांत समीक्षा सम्मेलन' की अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टॉफ (सिद्धांत संगठन और प्रशिक्षण) के उप-प्रमुख एयर मार्शल जीतेन्द्र मिश्रा ने की. दो सत्र में आयोजित सम्मेलन में संयुक्त सिद्धांत निर्माण प्रक्रिया पर विचार-मंथन किया गया. इस दौरान साइबरस्पेस, जल-थल और अंतरिक्ष जैसे विविध विषयों पर जारी सेवा सिद्धांतों की समीक्षा की गई.
बयान में कहा गया कि सम्मेलन में मुख्यालय आईडीएस और तीनों सेनाओं की सिद्धांत विकास एजेंसियों के विषय विशेषज्ञों के साथ-साथ प्रतिष्ठित ‘थिंक टैंक' के सदस्यों ने भी भाग लिया.
अधिकारियों ने कहा कि सरकार ‘थिएटराइजेशन' योजना पर भी आगे बढ़ रही है. इस योजना के अनुसार, प्रत्येक ‘थिएटर कमांड' में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और वे सभी एक ऑपरेशनल कमांडर के तहत एक निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने वाली एक इकाई के रूप में काम करेंगी.
फिलहाल सेना के तीनों अंगों की अलग-अलग कमान हैं. तीनों सेवाओं की क्षमताओं को एकीकृत करने और उनके संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए ‘थिएटर कमांड' की योजना बनाई जा रही है.
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