लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़कर 12.5% होने से नहीं पड़ेगा खास फर्क : निलेश शाह

किसी को भी टैक्स पेमेंट करना अच्छा नहीं लगता. स्टॉक मार्केट के निवेशक ये भी कह सकते हैं कि जब आपने STT लगाई थी, तो वो कैपिटल गेन के एवज में लगाई थी. अब कैपिटल गेन भी है, STT भी है. और तो और उनके रेट में बढ़ोतरी भी हो रही है.

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नई दिल्ली:

मोदी सरकार ने उम्मीदों वाला बजट पेश कर दिया है. बजट में सरकार ने मिडिल क्लास और सैलरीड क्लास को बड़ी राहत दी है. अब 3 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री रहेगी. न्यू टैक्स रिजीम में अब 7.75 लाख तक की इनकम पर टैक्स छूट मिलेगी. ई टैक्स रिजीम में अब 50 हजार की जगह 75 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा. दोनों सुविधाओं से करीब 17 हजार 500 रुपये हाथ में आएंगे. लेकिन ये काफी नहीं हैं. ग्रोथ का मोमेंटम बढ़ाने के लिए इससे ज्यादा की उम्मीद थी.

बेशक बजट में किसी को ज्यादा मिले, तो अच्छा लगेगा. लेकिन भारत में दिक्कत है. सैलरीड क्लास अपने टैक्स का दायित्व पूरा कर रहा है. टैक्स यहां सोर्स के ऊपर डिडक्ट हो रहा है. जो नॉन-सैलरीड क्लास हैं, उनमें टैक्स का दायित्व उतना अच्छा नहीं है, जितना होना चाहिए. इस वजह से सरकार के पास जो टैक्स रेवेन्यू आ रहा है, वो तेज गति से बढ़ जरूर रहा है. लेकिन ये टैक्स कुछ ही लोगों के पास से आ रहा है. करीब 8 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं. सिर्फ 2 करोड़ लोग इनकम टैक्स भरते हैं. 6 करोड़ लोग टैक्स भी नहीं भरते.

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इस 2 करोड़ लोगों में भी बहुत कम लोग हैं, जो टैक्स ज्यादातर भर रहे हैं. बजट से लोगों की उम्मीदें हमेशा से ज्यादा रहेंगी. लेकिन सरकार के पास उतना बजट नहीं है, जिससे लोगों की सभी उम्मीदों को पूरा किया जा सके.

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किसी को भी टैक्स पेमेंट करना अच्छा नहीं लगता. स्टॉक मार्केट के निवेशक ये भी कह सकते हैं कि जब आपने STT लगाई थी, तो वो कैपिटल गेन के एवज में लगाई थी. अब कैपिटल गेन भी है, STT भी है. और तो और उनके रेट में बढ़ोतरी भी हो रही है.

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ओवरऑल देखें, तो मार्केट कैपिटल गेन वाले अनाउंसमेंट के बाद थोड़ा डाउन हुआ. बाद में इसमें तेजी आ गई. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10% से बढ़कर 12.5% हो गया है. देखा जाए, तो ये उतना मायने नहीं रखता. लोगों की जो शिकायत होगी, वो उसमें अंतर होगा. लोकल इंवेस्टर्स जब हमारे डेरिवेटिव्स मार्केट में इंवेस्ट करते हैं, तो बिजनेस बनता है. और मैक्सिमम मार्जिनल टैक्स उन्हें भरना पड़ता है.

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(निलेश शाह कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के MD हैं.) 

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