"मैं आखिरी आदमी रहूंगा जो.. ", फेक इनवॉयस मामले में बोले अश्नीर ग्रोवर

एक्स पर लिखे अपने लंबे पोस्ट में उन्होंने कई दावे भी किए कि भारतपे को उनके खिलाफ मामलों में कोई राहत नहीं मिली थी, फर्म के ऑडिटर्स को कोई धोखाधड़ी नहीं मिली थी, और आयकर विभाग ने कहा था कि उन्होंने सभी बकाया करों का भुगतान कर दिया था.

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भारतपे के पूर्व सीईओ अश्नीर ग्रोवर ने सोशल साइट्स पर रखी अपनी बात
नई दिल्ली:

Bharat pay के पूर्व सीईओ और सह-संस्थापक अश्नीर ग्रोवर ने कंपनी, निवेशकों सिकोइया कैपिटल और उन लोगों पर निशाना साधा है, जिन्होंने उनके खिलाफ EOW द्वारा मामला दर्ज करने पर टिप्पणी की थी. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि "मैं 'भारतपे', सिकोइया (ओह क्षमा करें वे पहले ही भारत में जा चुके हैं), 2 टके के अनपढ़ प्रेस वाले और 'ट्विटर' पर जज बनने वालों के जाने के बाद भी आखिरी समय तक खड़ा रहूंगा !मेरे शब्दों को याद रखें !!

एक्स पर लिखे अपने लंबे पोस्ट में उन्होंने कई दावे भी किए कि भारतपे को उनके खिलाफ मामलों में कोई राहत नहीं मिली थी, फर्म के ऑडिटर्स को कोई धोखाधड़ी नहीं मिली थी, और आयकर विभाग ने कहा था कि उन्होंने सभी बकाया करों का भुगतान कर दिया था.

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गौरतलब है कि भारतीय फिनटेक कंपनी भारतपे (BharatPe) के को-फाउंडर और पूर्व सीईओ अश्नीर ग्रोवर (Ashneer Grover) और उनकी पत्‍नी माधुरी जैन (Madhuri Jain Grover) पर लगे धोखाधड़ी के आरोप में दिल्ली पुलिस की इकोनॉम‍िक ऑफेंस व‍िंग (EOW) की जांच कर रही है. इस जांच के आधार पर द‍िल्‍ली पुल‍िस की तरफ से नए खुलासे क‍िये गए हैं. जांच में पाया गया क‍ि अश्नीर ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी कंपनियों ने फिनटेक यूनिकॉर्न के लिए किए गए काम का पैसा न‍िकालने के ल‍िए पिछली तारीख के चालान (इनवॉयस) का इस्तेमाल किया. ये इनवॉयस कई करोड़ रुपये के थे. हालांकि, इकोनॉम‍िक ऑफेंस व‍िंग को कई फर्म के बारे में अभी जानकारी नहीं म‍िल सकी है, ज‍िनको भारतपे की तरफ से पेमेंट किया गया था. 

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दिल्ली हाईकोर्ट में EOW की ओर से दाखिल एक स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों ने रिक्रूटमेंट वर्क के एवज में कमीशन के पेमेंट के लिए भारतपे के अकाउंट से रकम ट्रांसफर करने के लिए कथित तौर पर पिछली तारीख के चालान का इस्तेमाल किया.

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स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, कथित रूप से फर्जी एचआर कंसल्टेंसी को कम से कम 7.6 करोड़ रुपये का पेमेंट किया गया. जबकि माल और सेवा कर (GST) अधिकारियों को जुर्माने के रूप में 1.66 करोड़ रुपये का पेमेंट किया गया. इसके अलावा 71.76 करोड़ रुपये कथित तौर पर फर्जी लेनदेन के जरिए निकाले गए.

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