Hyderabad Enouncter case : हैदराबाद एनकाउंटर मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह फैसला दिया है. SC ने तेलंगाना सरकार की रिपोर्ट सीलबंद करने की मांग ठुकराई और मामले को तेलंगाना हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है. CJI एनवी रमना ने कहा कि जांच रिपोर्ट की कॉपी याचिकाकर्ताओं के साथ साझा की जाए. गोपनीय रखने के लिए कुछ भी नहीं है. आयोग ने किसी को दोषी पाया है. अब राज्य को कदम उठाना है. हम मामले को हाईकोर्ट भेजते हैं. सारा रिकॉर्ड हाईकोर्ट भेजा जाए और हाईकोर्ट रिपोर्ट पर गौर करे. यह एक सार्वजनिक जांच है. रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा किया जाना चाहिए. एक बार रिपोर्ट आ गई तो इसका खुलासा किया जाना चाहिए
जब तेलंगाना सरकार के वकील ने कहा कि अदालत ने अतीत में रिपोर्टों को सील करने की अनुमति दी है और ये रिपोर्ट सामने आई तो न्याय प्रशासन पर असर पड़ेगा तो CJI ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में, अदालत ने ऐसा किया है. यह एक मुठभेड़ का मामला है. अगर रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा तो न्यायिक जांच की जरूरत क्या है. दरअसल 12 दिसंबर, 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था, इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रेखा बलडोटाऔर सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन शामिल थे. इस आयोग ने 6 दिसंबर, 2019 को 4 लोगों की कथित मुठभेड़ हत्याओं की जांच की.चारों पर पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक रेप और हत्या का आरोप लगाया गया था.
कुछ दिन पहले ही हैदराबाद एनकाउंटर केस में सुप्रीम कोर्ट के जांच आयोग ने रिपोर्ट दाखिल की है. दो साल के बाद रिपोर्ट दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में आयोग बनाया गया था. गौरतलब है कि हैदराबाद में रेप के चार आरोपियों को पुलिस ने 2019 में कथित मुठभेड़ में मार गिराया था. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग का आखिरी बार कार्यकाल बढ़ाया था. सुप्रीम कोर्ट ने जांच पूरी करने के लिए 6 महीने और दिए थे. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर का आयोग जांच कर रहा है. आयोग ने कोविड के चलते और समय मांगा था.जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे आयोग का कार्यकाल छह महीने के लिए और बढ़ा दिया था .शीर्ष अदालत ने कहा था कि जांच आयोग उसे छह महीने के भीतर इस मामले की अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपे.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में लंबित कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी. साथ ही SIT से पूरी रिपोर्ट तलब कर ली थी. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि कोई भी दूसरा प्राधिकारी इस मामले में कोई भी जांच तब तक नहीं करेगा जब तक कि आयोग अपनी रिपोर्ट नहीं दे देता. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि तीन सदस्यीय आयोग को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) सुरक्षा मुहैया कराएगा. हालांकि आयोग तय समय के भीतर अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत में नहीं प्रस्तुत कर सका था. इसके बाद आयोग ने 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से हैदराबाद एनकाउंटर मामले में अंतिम जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए और छह महीने का वक्त दिए जाने की गुहार लगाई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने का और समय दे दिया था. आयोग में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बल्दोटा (Rekha Sondur Baldota) और पूर्व सीबीआई निदेशक डीआर कार्तिकेयन (DR Karthikeyan) भी शामिल हैं.
यह है मामला : 27 नवंबर 2019 को एक महिला पशु चिकित्सक का अपहरण करके कथित चार बदमाशों ने उसका यौन उत्पीड़न किया था. बाद में महिला डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने बताया था कि था कि आरोपियों ने बाद में महिला का शव जला दिया था. इस घटना को लेकर लोगों में भारी आक्रोश था. बाद में चारों आरोपी हैदराबाद के नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर एक कथित मुठभेड़ में मार गिराए गए थे. पुलिस का दावा है कि इसी राजमार्ग पर 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव पाया गया था.बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर दो अलग-अलग याचिकाओं में दावा किया गया कि कथित मुठभेड़ फर्जी थी और घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होनी चाहिए.
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