कश्मीर घाटी में काम कर रहे कश्मीरी पत्रकारों को लगातार मिल रही धमकियों के बीच, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने स्वीकार किया है कि श्रीनगर के आठ मीडियाकर्मियों को आतंकवादियों से धमकियां मिली हैं, जिनमें से चार ने इन धमकियों को लेकर अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. गृह मंत्रालय ने घाटी में लोगों को सुरक्षा देने की बात भी कही है.बताते चलें कि इस हफ्ते की शुरुआत में, आतंकवादी संगठन टीआरएफ के मुखपत्र कश्मीर फाइट ने पत्रकारों और राजनेताओं की एक नई सूची जारी की थी, जिसमें घाटी में उन पर हमला करने की धमकी दी गई थी.
सूची टीआरएफ ब्लॉग पर प्रकाशित की गई थी, जिसे लश्कर तैयबा आतंकी संगठन का समर्थन प्राप्त है. हालांकि सुरक्षा एजेंसियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन सूचियों की सत्यता का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि श्रीनगर स्थित स्थानीय समाचार पत्रों के लिए काम करने वाले आठ पत्रकारों को आतंकी ब्लॉग कश्मीर फाइट के माध्यम से धमकियां दी गयी है. चार मीडियाकर्मियों ने कथित तौर पर इस्तीफा भी दे दिया है. जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है, वे राइजिंग कश्मीर मीडिया हाउस से जुड़े हुए थे. नित्यानंद राय ने कहा कि श्रीनगर में इसे लेकर केस दर्ज कर लिया गया है.
बताते चलें कि इससे पहले सरकारी संस्थानों में कार्यरत कश्मीरी पंडित शिक्षकों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गयी थी. धमकी भरे पोस्टर के साथ घाटी में 56 कश्मीरी पंडित शिक्षकों की एक सूची वायरल हुई थी. सूची में उनके नाम, आवासीय पते और वर्तमान नौकरी के स्थानों का विवरण दिया गया था.
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने सुरक्षा के मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए ट्वीट किया था कि यह रिकॉर्ड आतंकवादियों तक कैसे पहुंचा? क्या सरकारी विभागों के कर्मचारी आतंकवादियों के साथ [काम] कर रहे हैं? क्या कोई हिंदू कश्मीर में सुरक्षित हो सकता है, जब उसके सहयोगी उसकी मृत्यु की कामना करते हैं?" ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्राधिकरण और भाजपा को टैग किया गया था.
इस बीच, गृह मंत्रालय ने भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी को अपने जवाब में कहा कि सरकार की उग्रवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है.
राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने यह भी पुष्टि की कि इस साल जनवरी से नवंबर तक जम्मू और कश्मीर में तीन कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के 14 लोग मारे गए हैं. राय ने यह भी स्वीकार किया कि मीडिया में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति की सुरक्षा चिंताओं को उजागर करने वाली खबरें थीं, जिसके बाद, सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के जीवन की रक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं.
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