प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में केंद्र ने नई संसद (New Parliament House) में कामकाज शुरू होने के पहले ही दिन 3 दशक से अटका हुआ महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill) पेश कर दिया. 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' के मुताबिक, लोकसभा (Loksabha)और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा. संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर डिबेट हुई. इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, डीएमके सांसद कनिमोझी ने अपने-अपने विचार और तर्क रखे. वहीं, सरकार की ओर से महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smrit Irani) ने भी डिबेट में हिस्सा लिया. इस दौरान ईरानी ने स्मृति संविधान का पाठ भी पढ़ाया.
आइए जानते हैं, लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर महिला सांसदों ने क्या कहा:-
स्मृति ईरानी बोलीं-धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित
महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी और मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया? विपक्षी सदस्यों के इस सवाल पर स्मृति ईरानी ने कहा, 'फिर यह आरोप लगाया कि आप ओबीसी और मुस्लिम रिजर्वेशन क्यों नहीं देते? उनको शायद इस बात का आभास नहीं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित है.'
संविधान को छिन्न-भिन्न करना, कांग्रेस की पुरानी आदत-ईरानी
ईरानी ने कहा, "हमें पता है कि संविधान को छिन्न-भिन्न करना, कांग्रेस की पुरानी आदत है. लेकिन आज अगर आप इसी गरिमा में संविधान के अनुच्छेद 82 को पढ़ें तो इसमें कहा गया है- जब तक वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, तब तक [इस अनुच्छेद के अधीन (i) राज्यों को लोकसभा में 1971 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित स्थानों के आबंटन का; और (ii) प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निवार्चन क्षेत्रों में विभाजन का, जो 2001 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित किए जाएं, पुनः समायोजन आवश्यक नहीं होगा.' स्मृति ने पूछा, 'तो क्या ये विपक्ष के नेताओं का मत है कि जो संवैधानिक प्रक्रिया इंगित है संविधान में, उसकी अवहेलना हो?'
ये मोदी की गारंटी है-स्मृति ईरानी
स्मृति आगे कहती हैं, 'यानी आज की सरकार जब यह अधिनियम लागू होगा, तब के बाद 15 वर्षों तक महिलाओं को रिजर्वेशन गारंटी करती है, मोदी की गारंटी है. लेकिन आप कांग्रेस पार्टी का प्रस्ताव पढ़ें, तो उनका प्रस्ताव ये था 2बी और 3बी में. कांग्रेस का प्रस्ताव था कि 10 साल औरतें मेहनत करें लेकिन 15वें साल में आपका अधिकार आपसे छीना जाएगा.'
सोनिया गांधी बोलीं- महिला आरक्षण का बिल सबसे पहले राजीव लाए
सोनिया गांधी ने कहा, "स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून सबसे पहले मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था. बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने उसे पास करवाया. इसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं. राजीव का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, यह बिल पास होने से सपना पूरा हो जाएगा."
इसपर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि ये सिर्फ PM मोदी का बिल है, जिसने गोल किया, नाम उसी का होता है. हमारे प्रधानमंत्री और हमारी पार्टी ये बिल लेकर आई है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है.
बिल फौरन अमल में लाना चाहिए-सोनिया
सोनिया ने कहा, 'कांग्रेस की मांग है कि बिल को फौरन अमल में लाया जाए. सरकार को इसे परिसीमन तक नहीं रोकना चाहिए. इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर इस बिल में SC-ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए.'
कनिमोझी बोलीं-महिलाओं को सम्मान और समानता की जरूरत
इस बिल को लेकर डीएमके सांसद कनिमोझी (DMK MP Kanimozhi)ने 'गोपनीयता का पर्दा' रखने पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "ये विधेयक (Women's Reservation Bill) आरक्षण के बारे में नहीं है, बल्कि पूर्वाग्रह और अन्याय को दूर करने का काम है." उन्होंने कहा, "महिलाओं को वंदन, पूजा की जरूरत नहीं है. उन्हें सम्मान और समानता की जरूरत है. इस देश और इस संसद में महिलाओं का अधिकार उतना ही है, जितना पुरुषों का है. महिलाएं बराबरी का सम्मान चाहती हैं."
कनिमोझी ने कहा कि इस विधेयक में 'परिसीमन के बाद' (after delimitation) से संबंधित खंड को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने में बहुत ज्यादा देरी हो सकती है. विधेयक में प्रस्तावित लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही लागू होगा.
सुप्रिया सुले और डिंपल यादव क्या बोलीं?
NCP सांसद सुप्रिया सुले और सपा सांसद डिंपल यादव ने भी बिल में OBC महिलाओं को आरक्षण देने की मांग की. सुप्रिया ने कहा कि सरकार बड़ा दिल करके बिल में SC, ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करे. वहीं, सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि बिल में OBC और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए.
सुप्रिया सुले ने कहा कि जनगणना और परिसीमन होने तक महिला आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता. फिर इसके लिए स्पेशल सेशन क्यों बुलाया गया. इसे विंटर सेशन में भी पास कर सकते थे. देश के कई हिस्सों में बाढ़ आ रही है, इस समय सेशन बुलाने की क्या जरूरत है.
19 सितंबर को पेश हुआ महिला आरक्षण बिल
बता दें कि सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया. इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा. लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
15 साल तक रहेगा रिजर्वेशन
बिल के मुताबिक, ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा. इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है. यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा. यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.
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