गुजरात दंगों के मामले में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाने की साजिश रचने की आरोपी तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में गुजरात सरकार ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा है कि एक वरिष्ठ राजनेता के इशारे पर तीस्ता ने साजिश रची और इसके एवज में मोटी रकम वसूली.
बीते दिनों इस मामले से जुड़े एक सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ एफआईआर ना केवल सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है. बल्कि पर्याप्त सबूतों द्वारा समर्थित है. तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर कोर्ट में जवाब दाखिल कर गुजरात सरकार की तरफ से कहा गया कि जांच में एफआईआर को सही ठहराने के लिए उस सामग्री को रिकॉर्ड में लाया गया है, जिससे यह साफ होता है कि आवेदक ने राजनीतिक, वित्तीय और अन्य भौतिक लाभ हासिल करने के लिए अन्य आरोपित व्यक्तियों के साथ मिलकर साजिश रची.
इसी के साथ गवाहों के बयानों ने स्थापित किया कि सीतलवाड़ ने एक राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता के साथ साजिश रची. सीतलवाड़ ने गुजरात उच्च न्यायालय के 3 अगस्त के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसने विशेष जांच दल (एसआईटी) को नोटिस जारी कर सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरबी कुमार द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर जवाब मांगा. अहमदाबाद शहर सत्र अदालत द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद सीतलवाड़ और कुमार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने आरोप लगाया है कि सीतलवाड़ और कुमार दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को अस्थिर करने के लिए की गई एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे.
आपको बता दें कि इस मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट भी आरोपी हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीतलवाड़, कुमार और भट्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हालांकि, शीर्ष अदालत में एसआईटी ने जाफरी की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि 2002 के गुजरात दंगों के पीछे "बड़ी साजिश" की जांच के लिए शिकायत के पीछे एक भयावह साजिश है.