"वह भारी नहीं, मेरा भाई है": पूर्व सैन्य अधिकारी ने की तीन जवानों के शवों के खोज अभियान की तारीफ

ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (सेवानिवृत्त) ने एक्स पर एक पोस्ट में गुलमर्ग के हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के सैनिकों को शवों को निकालने के लिए धन्यवाद दिया और बधाई दी

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अक्टूबर 2023 में हुए हिमस्खलन से चार जवानों की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली:

अक्टूबर 2023 में लद्दाख में 18,300 फीट से अधिक की ऊंचाई पर हिमस्खलन की चपेट में आने से मारे गए तीन सैनिकों के शवों को निकालने में नौ महीने से अधिक का समय लगा. एक रिटायर्ड सेना अधिकारी ने बताया है कि इतना समय क्यों लगा. 

ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (सेवानिवृत्त) ने एक्स पर एक पोस्ट में गुलमर्ग स्थित हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के सैनिकों को शवों को निकालने के लिए धन्यवाद दिया और बधाई दी.

हवलदार रोहित कुमार, हवलदार ठाकुर बहादुर आले और नायक गौतम राजवंशी के शव पिछले नौ महीनों से एक गहरी दरार में फंसे हुए थे. शव बर्फ की मोटी परतों के नीचे दबे हुए थे.

ब्रिगेडियर सोही ने पोस्ट में कहा, "वह भारी नहीं है, वह मेरा भाई है. पिछले साल अक्टूबर में माउंट कुन पर अभियान के दौरान बर्फ में दबे तीन हवलदार प्रशिक्षकों के शवों को निकालने के लिए HAWS गुलमर्ग को एक बड़ा सलाम."

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने जब यह पूछा कि पिछले नौ महीनों से शव बर्फ में क्यों दबे पड़े थे? सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने कहा कि इस बार टीम जरूरी औजारों को साथ लेकर गई थी लेकिन फिर भी शवों को निकालने में नौ दिन लग गए.

छह दिनों की खोज के बाद एक शव मिला था  

ब्रिगेडियर सोही ने कहा, "कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि तीनों सैनिकों के शव नौ महीने से अधिक समय तक क्यों दबे रहे और उन्हें निकालने के लिए पहले प्रयास क्यों नहीं किए गए. सच्चाई यह है कि जब 8 अक्टूबर 2023 को चार सैनिक लापता हुए तो छह दिनों की खुदाई के बाद केवल एक शव ही बरामद हुआ था."

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उन्होंने कहा, "इस बार टीम ने चेनसॉ और जीआरईएफ ग्रेड के फावड़ों के साथ आरईसीओ रडार का उपयोग किया और नौ दिनों की खुदाई के बाद शेष तीन शव सफलतापूर्वक बरामद कर लिए. शव बर्फ से ढंकी 70 फीट गहरी दरार के नीचे दबे हुए थे."

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पिछले साल इस घटना के तुरंत बाद लांस नायक स्टैनज़िन टार्गैस का शव बरामद किया गया था. 

पिछले साल 8 अक्टूबर को हिमस्खलन हुआ था

जुलाई 2023 में HAWS की 38 सदस्यीय अभियान टीम लद्दाख में माउंट कुन पर चढ़ाई के लिए निकली थी. अभियान एक अक्टूबर को शुरू हुआ और टीम को 13 अक्टूबर तक चोटी पर पहुंचने की उम्मीद थी.

इस बर्फ से ढंके इलाके में खतरनाक भौगोलिक स्थितियां और अप्रत्याशित मौसम ने बहुत बड़ी चुनौतियां पेश कीं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बर्फ की दीवार पर रस्सियां लगाते समय, 8 अक्टूबर को 18,300 फीट की ऊंचाई पर अचानक हिमस्खलन हुआ, जिसमें टीम के चार सदस्य फंस गए.

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18 जून को शुरू किया गया अभियान हुआ सफल

सेना की "किसी को पीछे न छोड़ना" की भावना के अनुरूप HAWS के पर्वतारोहियों की एक टीम ने शवों को बरामद करने के लिए एक मिशन शुरू किया. उनके शवों को बरामद करने के लिए ऑपरेशन RTG (रोहित, ठाकुर, गौतम) 18 जून को शुरू किया गया था.

HAWS के डिप्टी कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने व्यक्तिगत रूप से खोज अभियान का नेतृत्व किया. शवों को "पूर्ण सैन्य सम्मान" के साथ उनके परिवारों को सौंप दिया गया है. इससे उनके परिजनों को राहत मिली है.

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