नई दिल्ली: हलाल सर्टिफिकेशन मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद चीफ महमूद मदनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलाल सर्टिफिकेशन देने वाले कई संगठनों के खिलाफ दर्ज FIR के संबंध में यूपी पुलिस द्वारा महमूद मदनी को लखनऊ में उसके सामने पेश होने के लिए जारी किए गए नोटिस पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
यूपी सरकार ने राज्य में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है और कथित तौर पर "धार्मिक भावनाओं को आहत करने" के लिए कई संगठनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हलाल सर्टिफिकेट बैन का परीक्षण करने को तैयार हो गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और महाराष्ट्र जमीयत उलेमा की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया थ. याचिका में लखनऊ में दर्ज FIR पर भी रोक की मांग की गई थी.
यूपी पुलिस ने पिछले साल नवंबर में इस कंपनी समेत कई संस्थाओं के खिलाफ फर्जी हलाल सर्टिफिकेट बांटने के आरोप में FIR दर्ज की थी. इन पर आर्थिक मुनाफा हासिल करने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ का आरोप है. हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि इस कदम से एक समुदाय को खौफ पैदा हो गया है. यूपी सरकार इस तरह इस पर बैन नहीं लगा सकती. हलाल सर्टिफिकेट केंद्र सरकार ने दिया है. इस मामले में राज्य सरकार का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है.
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