Gujarat Riots: वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को एसआईटी की क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी (Zakia Jafri) की याचिका पर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. जाकिया जाफरी ने SC से कहा, 'गुजरात दंगों की त्रासदी को रोका जा सकता था. गुजरात दंगों के दौरान कोई निवारक उपाय नहीं किए गए.अब कई जगहों पर सांप्रदायिक घटनाओं के दौरान निवारक कार्रवाई का अभाव देखा जा सकता है. सांप्रदायिक घटनाओं के दौरान निवारक उपायों का पालन नहीं किया जा रहा है.'
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जाकिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा सांप्रदायिक घटनाओं की आशंका के दौरान हिंसा को रोकने के लिए एक पुलिस नियमावली है लेकिन इसका कभी पालन नहीं किया गया.हम इसे त्रिपुरा, दिल्ली और कई अन्य जगहों पर देख रहे हैं. ये मैनुअल केवल एक मुद्रित शब्द है.सुप्रीम कोर्ट 23 नवंबर को सुनवाई जारी रखेगा. सिब्बल ने कहा कि निवारक उपायों में शामिल है कि खुफिया सूत्रों को अलर्ट पर रखा जाना है.शहर और गांव में गश्त करना है .छोटी-छोटी घटनाओं की सूचना दी जानी होती है.
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इससे पहले, मंगलवार की सुनवाई के दौरान जाकिया की ओर से SIT पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि SC द्वारा गठित SIT के लिए मिलीभगत एक कठोर शब्द है. ये वही SIT है जिसने अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी और आरोपियों को दोषी ठहराया गया था. उन कार्यवाही में ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली. जाकिया जाफरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था, 'जब SIT की बात आती है तो आरोपी के साथ मिलीभगत के स्पष्ट सबूत मिलते हैं. राजनीतिक वर्ग भी सहयोगी बन गया. SIT ने मुख्य दस्तावेजों की जांच नहीं की और स्टिंग ऑपरेशन टेप, मोबाइल फोन जब्त नहीं किया. क्या SIT कुछ लोगों को बचा रही थी? शिकायत की गई तो भी अपराधियों के नाम नोट नहीं किए गए. यह राज्य की मशीनरी के सहयोग को दर्शाता है. '