जज जस्टिस निखिल कारियल के ट्रांसफर मामले में CJI बोले- मांगों पर कर रहे विचार, वकील खत्म करें हड़ताल

जस्टिस निखिल एस कारियल को 'बेहतरीन, सच्‍चा, ईमानदार,और निष्पक्ष' जज बताते हुए गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने उन्हें पटना हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध करते हुए और अपनी नाराजगी दिखाते हुए एक प्रस्ताव पारित किया

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कॉलेजियम द्वारा  गुजरात हाई कोर्ट के जज जस्टिस निखिल कारियल को पटना हाई कोर्ट ट्रांसफर करने के मामले में आज गुजरात हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों का प्रतिनिधिमंडल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह से मिला. गुजरात हाईकोर्ट के वकीलों ने इस ट्रांसफर के विरोध में काम बंद कर दिया था.  इसके बाद CJI चंद्रचूड़ ने वकीलों को मिलने के लिए समय दिया था.

करीब 30 मिनट की मुलाकात के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गुजरात हाईकोर्ट बार के अधिकारियों को भरोसा दिया कि उनकी मांग पर विचार किया जाएगा. लेकिन, वकीलों को हड़ताल और विरोध खत्म करना होगा. बार के अधिकारियों ने कहा कि हड़ताल खत्म करने को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है. मंगलवार को बार की आम सभा होगी, जिसमें इस मुद्दे पर विचार कर समुचित फैसला लिया जाएगा.

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कॉलेजियम ने जस्टिस निखिल एस करियल के अलावा तेलंगाना हाई कोर्ट के जज ए अभिषेक रेड्डी का भी पटना उच्च न्यायालय में तबादला कर दिया गया. मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा को CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने राजस्थान हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था. कथित तौर पर एक बैठक में जस्टिस एसके कौल, एसए नज़ीर, केएम जोसेफ और एमआर शाह भी शामिल थे.

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गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने किया विरोध
जस्टिस निखिल एस कारियल को 'बेहतरीन, सच्‍चा, ईमानदार,और निष्पक्ष' जज बताते हुए गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने उन्हें पटना हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध करते हुए और अपनी नाराजगी दिखाते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. यह कहते हुए कि प्रस्तावित स्थानांतरण उचित नहीं है, एसोसिएशन के प्रस्ताव में कहा गया है कि बार के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से इस तरह के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करने का निर्णय लिया गया है और जब तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और कॉलेजियम इस मुद्दे का समाधान नहीं करती तब तक वे अनिश्चित काल तक विरोध करेंगे.

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प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि एक ऐसे ईमानदार जज का तबादला, जिसके लिए पूरा बार एक स्वर में आवाज उठा रहा है, ‌उचित नहीं है और इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है क्योंकि यह कानून के शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर प्रहार करता है.

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