"राज्यपालों को विधेयकों पर फैसला लेने में देरी नहीं करनी चाहिए": तेलंगाना सरकार की याचिका पर SC

सरकार द्वारा विधानसभा में पारित 10 विधेयकों पर राज्यपाल अपनी सहमति के दस्तखत नहीं कर रही हैं. इसके खिलाफ तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

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तेलंगाना की राज्यपाल द्वारा विधानसभा से पारित कई बिलों को पेंडिंग रखने पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी.
नई दिल्ली:

तेलंगाना सरकार बनाम राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस दौरान राज्यपालों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा, "राज्यपालों को विधेयकों पर फैसला लेने में देरी नहीं करनी चाहिए. उन पर बैठे रहने की बजाए जितनी जल्दी हो सके, फैसला लेना चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 200 (1) का उल्लेख और 'जितनी जल्दी हो सके' शब्द का एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उद्देश्य है. इसे संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए."

प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने तेलंगाना सरकार द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए ये कहा कि याचिका में राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. राज्यपाल के लिए एसजी (सॉलिसिटर जनरल) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब कोई भी बिल पेंडिंग नहीं है. 

सुप्रीम कोर्ट ने एसजी मेहता द्वारा आदेश में ऐसी किसी भी टिप्पणी का जोरदार विरोध करने के बावजूद इसे आदेश का हिस्सा बनाया. गौरतलब है कि ऐसा ही मामला पंजाब में भी आया था, जब राज्यपाल ने पंजाब मंत्रिमंडल के सदन की बैठक बुलाने के आग्रह को मंजूरी नहीं थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले ये मंजूरी दे दी गई थी. इसी तरह दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच भी इसी तरह की तकरार देखने को मिलती हैं.

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