"राज्यपाल कर रहे सत्ता का दुरुपयोग": ममता बनर्जी और एमके स्टालिन की बैठक करने की तैयारी

दिल्ली, छत्तीसगढ़ और गोवा में राज्यपालों और उप राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के बीच तनातनी ने सुर्खियां बटोरीं, बंगाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कई मुद्दों पर तीखी नोकझोंक हुई

Advertisement
Read Time: 16 mins
चेन्नई:

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आज ट्वीट किया, "संवैधानिक अतिक्रमण और राज्यपालों द्वारा सत्ता के बेशर्मी से दुरुपयोग" पर चर्चा करने के लिए विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जल्द ही दिल्ली में बैठक करेंगे. उन्होंने कहा कि इस मामले को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हरी झंडी दिखाई, उन्होंने ही बैठक का सुझाव दिया था.

स्टालिन के ट्वीट किया, "प्रिय दीदी ममता बनर्जी ने मुझे गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग पर अपनी चिंता और पीड़ा साझा करने के लिए फोन किया. उन्होंने गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक का सुझाव दिया."

उन्होंने दूसरी पोस्ट में लिखा, "मैंने उन्हें राज्य की स्वायत्तता बनाए रखने के लिए डीएमके की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया. विपक्षी मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन जल्द ही दिल्ली से बाहर होगा!" 

दिल्ली, छत्तीसगढ़ और गोवा में राज्यपालों, उप राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के बीच तनातनी की खबरें सुर्खियों में बनी रही हैं. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले राज्य बंगाल में भी हालात ऐसे बने रहे हैं. राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कई मुद्दों पर तीखी नोकझोंक हुई है.

तमिलनाडु में स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि पर केंद्र पर राज्य के एनईईटी (NEET) विरोधी विधेयक को रोकने का आरोप लगाया है. यह बिल राष्ट्रीय चिकित्सा प्रवेश परीक्षा को दरकिनार करने के लिए है.स्टालिन और कुछ अन्य समान विचारधारा वाले दलों ने विधेयक को फिर से राज्यपाल को भेजने का फैसला किया है. वे मांग कर रहे हैं कि यह बिल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को उनकी सहमति लेने के लिए भेजा जाए.

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए “संकल्प” लाएगी.

Advertisement

मुख्यमंत्री ममता ने राज्यपाल को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था क्योंकि उन्होंने कहा था कि राज्य "लोकतंत्र के लिए एक गैस चैंबर" बन गया है. ममता ने यह भी कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार लिखित में अनुरोध किया था, उन्हें हटाने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल के बीच चल रहे विवाद के बाद केंद्र ने पिछले साल एक विवादास्पद विधेयक पारित किया, जिसमें दिल्ली की चुनी हुई सरकार की तुलना में केंद्र के प्रतिनिधि को अधिक अधिकार दिए गए.

Advertisement

यह कानून सुप्रीम कोर्ट के 2018 के उस फैसले के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि उप राज्यपाल के पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है और वास्तविक शक्ति चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए. अदालत ने कहा था कि, "एक संतुलित संघीय ढांचा यह कहता है कि संघ सभी शक्तियों को हथियाना नहीं चाहता है और राज्यों को केंद्र से किसी भी अवांछित हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्रता का आनंद मिलता है," कोर्ट ने यह भी कहा था कि "निरपेक्षता के लिए कोई जगह नहीं है और अराजकता के लिए भी कोई जगह नहीं है."

Featured Video Of The Day
Supreme Court On Jail | देश की जेलों के अंदर भी जातिवाद का ज़हर फैला | Khabron Ki Khabar
Topics mentioned in this article