भारत सरकार "इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000" की जगह एक नया "डिजिटल इंडिया एक्ट" (Digital India Act) लाने की तैयारी में है. नए कानून का मसौदा जुलाई तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा. देश में नई टेक्नोलॉजी के अप्रत्याशित विस्तार और बढ़ते साइबर अपराधों और डिजिटल यूजर्स की बढ़ती असुरक्षा को देखते हुए इस कानून के मसौदे में कई नए प्रावधान शामिल करने की तैयारी है.
केंद्र सरकार की राय है कि नए दौर के सोशल मीडिया की चुनौतियों और बढ़ते साइबर अपराधों के आगे मौजूदा आईटी कानून पुराने पड़ गए हैं. अब एक नया कानून लाने की तैयारी है जिसे डिजिटल इंडिया एक्ट कहा जा रहा है. जुलाई में इसका ड्राफ्ट आ सकता है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक आईटी कानून में बदलाव होगा. साल 2000 में जब IT एक्ट बना तब देश में 55 लाख इंटरनेट उपभोक्ता थे. अब 85 करोड़ से ज्यादा नेट उपभोक्ता हैं. इन 23 सालों में कई नए ई प्लेटफॉर्म सामने आ गए हैं. इनमें ई कारोबार, डिजिटल और सोशल मीडिया, ओटीटी, गेमिंग और एआई तक शामिल हैं. साथ ही कई तरह के नए साइबर अपराध सामने आ रहे हैं- हैकिंग के अलावा कैटफिशिंग, डॉक्सिंग, साइबर स्टॉकिंग, साइबर ट्रोलिंग, गैसलाइटिंग आदि.
आम नागरिकों की निजता को सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण
विशेषज्ञों के मुताबिक आईटी सेक्टर और इंटरनेट को रेगुलेट करने के लिए लागू IT एक्ट 2000, अब 23 साल पुराना हो चुका है. जबकि हाल के वर्षों में डिजिटल टेक्नोलॉजी और डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार अप्रत्याशित तरीके से हुआ है. साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. आम नागरिकों की निजता को सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण हो रहा है. ऐसे में आईटी सेक्टर और इंटरनेट को रेगुलेट करने के लिए मौजूदा IT एक्ट 2000 की जगह एक नया कानून बनना जरूरी है.
आईटी कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है कि, पहली बात, साइबर क्राइम बढ़ रहा है. इससे निपटने के लिए मौजूद कानून में एडिक्वेट कवरेज नहीं है. दूसरा, हम डाटा इकानामी में कदम रख चुके हैं लेकिन डाटा सम्बन्धी कुछ मसले हैं, जो अभी कवर नहीं हुए हैं. डाटा स्टोरेज, रिटेंशन और डाटा प्रिजर्वेशन के लिए नए कानून में प्रावधान जरूरी होंगे. साथ ही भारत के पास साइबर सुरक्षा के लिए कानून नहीं है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इंटरनेट और आईटी सेक्टर की इन बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए प्रस्तावित "डिजिटल इंडिया एक्ट" के मसौदे में "Digital India Act" पर मंथन होगा, मुक्त इंटरनेट और ऑनलाइन सुरक्षा पर जोर होगा. इसमें पोर्न, साइबर फ्लैशिंग, डार्क वेब, डिफेमेशन, बुलीइंग, डॉक्सिंग जैसे साइबर अपराधों से निपटने का इंतजाम होगा.
सोशल मीडिया, फेक न्यूज पर लगाम कसी जाएगी
नए एक्ट में निजता का उल्लंघन करने वाले उपकरणों- स्पाई कैमरे, चश्मे, पहनने लायक तकनीक आदि पर सख़्त नज़र होगी. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बच्चों की प्राइवेसी और सुरक्षा, गेमिंग और betting Apps से निपटने के प्रावधान हो सकते हैं. सोशल मीडिया पर फेक न्यूज पर भी लगाम कसी जाएगी.
आईटी सेक्टर के लिए एक अलग जांच एजेंसी बनाने और बड़ी टेक कंपनियों की जवाबदेही तय करने की भी बात है.
डिजिटल इंडिया एक्ट में कानून के उल्लंघन से निपटने के लिए सख्त प्रावधान शामिल करना क्या जरूरी होगा? इस सवाल पर आईटी कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा, हमने IT Act में 2008 में जो संशोधन में गलती की थी वह नहीं दोहरानी है. उसमे तीन तरह के साइबर अपराध को छोड़कर सभी को जमानती अपराध बना दिया था. नए कानून के ज़रिए निवारण का मैसेज जाना चाहिए.
हालांकि यह देखना होगा कि सरकार जो नया कानून बनाने जा रही है, वह आईटी के दुरुपयोग को रोकने के साथ-साथ अभिव्यक्ति की आज़ादी भी सुनिश्चित करे.