चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों में शुरू की गयी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सभा में जमकर हंगामा हुआ.सोमवार को कई विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन की तय कार्यवाई को रोककर SIR के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की थी. जब सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया तो इस मसले पर तीखी बहस शुरू हो गई. कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसे अन्य सभी मामलों से पहले उठाया जाना चाहिए क्योंकि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है. मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि SIR का मुद्दा उठाना किसी एक पार्टी या कुछ पार्टियों का फैसला नहीं है.
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यह सभी विपक्षी फ्लोर लीडर्स का मिलकर लिया गया फैसला है. वे एकमत से इस बात पर सहमत हैं कि उन्हें पहले एसआईआर का मामला उठाना चाहिए. मैं संसदीय कार्य मंत्री से अनुरोध करता हूं कि हमें बांटें नहीं क्योंकि इससे हम और मज़बूत होंगे. ये घटिया हथकंडे हैं. आप हमें बांट नहीं सकते क्योंकि हम अलग-अलग विचारधाराओं से आते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि हमें SIR पर चर्चा करने दें. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि बहुत से लोग मर रहे हैं. लेकिन पूरे देश में, वे लोकतंत्र की हत्या करना चाहते हैं.
संसदीय कार्यमंत्री ने तत्काल सरकार की तरफ से बोलते हुए कहा कि कृपया SIR पर चर्चा के लिए समय सीमा पर कोई शर्त न रखें. हम जल्द से जल्द वापस आने की कोशिश करेंगे.लेकिन इससे विपक्षी संसद आश्वस्त नहीं हुए और चर्चा की मांग करते रहे. रिजिजू के बयान पर जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस संसदीय दाल के नेता डेरेक ओ' ब्रायन ने कहा कि समस्या SIR पर चर्चा के लिए समय सीमा तय करना नहीं है. समस्या विश्वास की कमी की है. पिछले पूरे सत्र में सरकार ने इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की. हम सरकार को कैसे ट्रस्ट कर सकते हैं? इसके बाद सभी विपक्षी सांसदों ने विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। ज़ाहिर है, पहले दिन राज्य सभा में SIR के मुद्दे पर जो गतिरोध दिखा है उसके बाद सदन की कार्यवाही मंगलवार को चलाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।














