दुनिया के कई देशों में सर्च इंजन (Search Engine) के तौर पर गूगल का उपयोग लोग करते हैं. भारत में करोड़ों लोग गूगल पर निर्भर हैं. खबर ये है कि गूगल ने एक मामले में केस करने वालों से समझौता किया है. लेकिन ये केस ऐसा है कि दुनिया भर में गूगल का इस्तेमाल करने वालों पर असर डालता है. फर्ज़ करें कि आप कुछ गूगल पर निजी तौर पर ढूढ रहे हों और बिना जाने आपकी सारी ऐक्टिविटी गूगल ट्रैक कर रिकॉर्ड रख रहा हो. असल में हुआ ही यही था- ये केस था कि गूगल चुपचाप बिना किसी के जाने 1 जून, 2016 से ये ट्रैक कर रहा था कि गूगल पर लोग ढूंढ क्या रहे हैं.
गूगल ट्रैक कर रहा था लोगों की सर्च हिस्ट्री
ये तब भी हो रहा था जब लोगों ने सेटिंग में ये लगा रखा था कि वो जो भी ढूंढें वो प्राइवेट है, यानि गूगल भी वो ट्रैक ना करे गूगल का इस्तेमाल करने वालों ने 2020 में इस मामले में गूगल के खिलाफ केस कर दिया. कहा कि गैरकानूनी तरीके से गूगल करोड़ो यूज़र्स की ब्राउजिंग ट्रैक कर रहा है. गूगल का ऐल्फाबेट यूनिट ये काम कर रहा है. इसके कारण गूगल के पास लोगों के बारे में हर प्रकार की जानकारी आई. दोस्तों, पसंदीदा खाना, आदतें, शॉपिंग, हॉबीज़ और वैसी भी चीज़ें जो लोगों को शर्मिंदा कर सकती हैं. ये भी गूगल के द्वारा ट्रैक किया जा रहा था.
गूगल ने किया समझौता
अब समझौता हुआ हैऔर इस समझौते की कीमत 41 करोड़ से 65 करोड़ रुपए तक लगाई जा रही है. लेकिन जो असल फायदा है वो बाकी गूगल इस्तेमाल करने वालों को भी होगा. समझौते के मुताबिक अब गूगल ये बताएगा कि उसने प्राइवेट ब्राउसिंग में क्या जानकारी इकट्ठा किया है. जो अब तक जानकारी इकट्ठा की गई है वो डिलीट कर दी जाएगी. जो यूज़र इनकॉगनिटो गूगल सर्च करते हैं उनके पास ये भी अधिकार होगा कि कि वो थर्ड पार्टी कुकीज़ पांच साल के लिए ब्लॉक कर सकते हैं. वैसे तो गूगल ने इसे बेकार केस माना लेकिन समझौते पर संतोष जताया है. साथ ही गूगल की तरफ से कहा गया है कि ये महज़ टेक्निकल डाटा था, किसी व्यक्ति विशेष का नहीं था.
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