सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने आंदोलनरत किसानों (Farmers Protest) का समर्थन किया है. गुरुवार को उन्होंने कहा कि अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुई तो वो केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के समर्थन में जनांदोलन शुरू करेंगे. 83 साल के बुजुर्ग अन्ना हजारे ने कहा, "लोकपाल आंदोलन ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिला दिया था. मैं किसानों के विरोध प्रदर्शनों को उसी तर्ज पर देखता हूँ. भारत बंद के दिन, मैंने अपने गाँव रालेगन-सिद्धि में एक संगठन का आयोजन किया था. मैंने किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास भी किया था."
अन्ना ने कहा, "अगर सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती है, तो मैं एक बार फिर 'जन आंदोलन' के लिए बैठूंगा, जो लोकपाल आंदोलन के समान होगा."
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कुछ महीनों से हजारों किसान आंदोलन कर रहे हैं और उन कानूनों को वापस लेने की मांग केंद्र सरकार से कर रहे हैं. किसानों को डर है कि नए कानून की आड़ में निजी क्षेत्र द्वारा उनकी फसलों को कम कीमत पर खरीदा जा सकता है. इसके अलावा न्यूनतम समर्थम मूल्य से भी किसानों को वंचित किया जा सकता है.
देश में किसानों के महत्वपूर्ण योगदानों की चर्चा करते हुए अन्ना हजारे ने कहा, "ऐसे किसी भी देश में किसान के खिलाफ कानून को मंजूरी नहीं दी जा सकती है, जो कृषि पर अत्यधिक निर्भर है. अगर सरकार ऐसा करती है, तो इसके खिलाफ आंदोलन जरूरी है."
आंदोलनकारी किसानों को गद्दार, खालिस्तानी बताने वाले कौन?
सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सभी बैठकें बेनतीजा रही है और गतिरोध बरकरार है. अब किसान संगठनों ने 14 दिसंबर से देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है. 12 दिसंबर को दिल्ली -जयपुर हाईवे बंद करने और सभी टोल प्लाजा पर कब्जा करने का ऐलान किया है.