कृषि कानून पर मोदी सरकार का यू-टर्न, जानें- अध्यादेश से लेकर कानून बनने और किसान आंदोलन की पूरी कहानी

Farm Laws Repeal: पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण के बीच 17 सितंबर को लोकसभा और 20  सितंबर को राज्यसभा ने भारी हंगामे के बीच तीनों कानूनों को पास कर दिया था. इसके बाद 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने इस पर दस्तखत कर दिए थे.

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25 नवंबर, 2020 को पंजाब-हरियाणा के किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली चलो का नारा दिया.

नई दिल्ली:

किसान आंदोलन (Farmers Protest) के करीब एक साल बाद आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने का फैसला किया है. प्रकाश पर्व के मौके पर उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में इसका ऐलान किया. पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण के बीच 17 सितंबर को लोकसभा और 20  सितंबर को राज्यसभा ने भारी हंगामे के बीच तीनों कानूनों को पास कर दिया था. इसके बाद 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने इस पर दस्तखत कर दिए थे.

जानिए: कृषि कानूनों पर कब-कब क्या-क्या हुआ?

5 जून, 2020: सबसे पहले भारत सरकार ने इस तारीख को तीन कृषि अध्यादेशों को राजपत्र में प्रकाशित कर प्रख्यापित किया. इनमें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020,  कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 शामिल है.

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14 सितंबर, 2020: संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही सरकार ने इस अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए संसद में तीनों कृषि कानून विधेयकों को पेश किया.

17 सितंबर, 2020:  लोकसभा में हंगामे के बीच तीनों बिल पारित हुए.

20 सितंबर, 2020: राज्यसभा में भी तीनों बिल हंगामे के बीच बिना ध्वनिमत से पारित हुआ.

24 सितंबर, 2020: पंजाब में किसानों ने तीन दिनों का रेल रोको आंदोलन शुरू किया.

25 सितंबर, 2020: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देशभर के किसान सड़कों पर उतरे.

27 सितंबर, 2020: तीनों कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत किए.

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25 नवंबर, 2020: पंजाब और हरियाणा के किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली चलो का नारा दिया. दिल्ली पुलिस ने किसानों को कोरोना संक्रमण का हवाला देकर दिल्ली में प्रवेश करने से रोका.

26 नवंबर, 2020: दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को अंबाला में पुलिस बलों का भारी विरोध झेलना पड़ा. किसानों पर ठंडे पानी की बौछार की गई. उन पर आंसू गैस के गोले दागे गए. बाद में पुलिस ने उन्हें दिल्ली कूच करने की इजाजत दी. दिल्ली की सीमाओं पर किसान आकर डट गए. बाद में पुलिस ने किसानों को निरंकारी ग्राउंड में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी.

28 नवंबर, 2020: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को बातचीत का ऑफर दिया और दिल्ली बॉर्डर छोड़कर बुरारी में आंदोलन स्थल बनाने को कहा. किसानों ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया और जंतर-मंतर पर विरोध करने की इजाजत मांगी.

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03 दिसंबर, 2020: केंद्र सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच पहले राउंड की वार्ता हुई लेकिन विफल रही.

05 दिसंबर, 2020: किसान संगठनों और सरकार के बीच दूसरी बार वार्ता विफल रही.

08 दिसंबर, 2020: किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया. दूसरे राज्यों में भी किसानों ने इस बंद का समर्थन किया.

09 दिसंबर, 2020: किसान संगठनों ने कृषि कानूनों में संशोधन करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया और कानून वापसी की मांग पर अड़े.

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11 दिसंबर, 2020: तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

13 दिसंबर, 2020: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन के पीछे टुकड़े-टुकड़े गैंग का हाथ है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बातचीत का दरवाजा खोल रखा है.

16 दिसंबर, 2020: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाददास्पद कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के नुमाइंदों का एक पैनल बना सकती है.

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21 दिसंबर, 2020: आंदोलनरत किसानों ने विरोध-प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन की भूख हड़ताल की.

30 दिसंबर, 2020:  किसान संगठनों और सरकार के बीच छठे राउंड की वार्ता हुई. सरकार ने पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान और बिजली संशोधन बिल भी वापस लिए.

04 जनवरी, 2021: सातवें राउंड की वार्ता भी बेनतीजा रही. सरकार का कानून वापस लेने से इनकार.

11 जनवरी, 2021: किसान आंदोलन से निपटने में केंद्र सरकार के कदमों की सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की. कोर्ट ने कहा कि वो एक कमेटी बनाने जा रही है.

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12 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया और सभी पक्षों से बातचीत के बाद सुझावों की सिफारिश करने को कहा.

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26 जनवरी, 2021: गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत हो गई. उपद्रवियों ने लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा लहराया.

28 जनवरी, 2021: गाजीपुर बॉर्डर पर तनाव गहराया, जब गाजियाबाद जिला प्रशासन ने रात में प्रदर्शन स्थल को खाली कराने की कोशिश की और आंसू गैस के गोले छोड़े. राकेश टिकैत ने वहां तंबू गाड़ा और नहीं हटने का ऐलान किया.

05 फरवरी, 2021: दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन में टूलकिट मामले में साइबर क्राइम एक्ट और देशद्रोह के तहत केस दर्ज किया.

06 फरवरी, 2021: किसानों देशव्यापी चक्का जाम किया.

14 फरवरी, 2021: दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में 21 वर्षीय दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया. उसे 23 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी.

05 मार्च, 2021: पंजाब विधान सभा ने तीनों कृषि कानूनों को बिना शर्त वापस लेने का प्रस्ताव पास किया.

15 अप्रैल, 2021: हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और किसानों से बातचीत करने का अनुरोध किया.

7 अगस्त, 2021: 14 विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन में बैठक की और जंतर मंतर पर किसान संसद में पहुंचने का फैसला किया. इसमें राहुल गांधी समेत कई नेता शामिल थे.

5 सितंबर, 2021: पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में किसानों ने महापंचायत बुलाई और आगामी यूपी चुनावों में बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाने के फैसला किया.

03 अक्टूबर, 2021: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी. इसके बीद भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई.