केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को महाराष्ट्र में कृषि सुधारों को लेकर बड़ा बयान दिया. केंद्रीय मंत्री ने कृषि कानून पारित होने और एक साल बाद उसकी वापसी के लंबे घटनाक्रम के बीच कहा कि हम एक कदम पीछे हटे हैं, लेकिन आगे फिर बढ़ेंगे. कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का आज भी अभाव है. हम कृषि कानून सुधार लेकर आए थे, कुछ लोगों को रास नहीं आया. लेकिन वो 70 वर्षों की आजादीके बाद बड़ा सुधार था, जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा था. लेकिन सरकार निराश नहीं है, हम एक कदम पीछे हटे हैं, आगे फिर बढ़ेंगे. हिन्दुस्तान का किसान देश की रीढ़ है. अगर किसान मजबूत होगा तो देश निश्चित तौर पर मजबूत होगा.
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा कृषि कानूनों की वापसी और किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी पर आश्वासन के बाद किसान आंदोलन वापस ले लिया है. इसके बाद किसानों ने आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया था. आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे और अन्य मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच एक सहमति बनी थी.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी और पंजाब (जहां किसानों के वोट महत्वपूर्ण हैं) में चुनाव से कुछ महीने पहले चौंका देने वाला ऐलान करते हुए कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा. प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री सहित वरिष्ठ हस्तियों ने तीन कानूनों का बचाव करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों पर निशाना साधा था. लेकिन अचानक सरकार के इस ऐलान के बाद सवाल उठने लगे. विपक्ष ने इस कदम को चुनाव को नजर में रखते हुए लिया गया बताया.
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पंजाब और यूपी (साथ ही हरियाणा और राजस्थान) के हजारों किसानों ने पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला था. इस दौरान कई जगहों पर सुरक्षाबलों के साथ किसानों की हिंसक झड़प भी देखने को मिली. लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार चढ़ा दी गई. इसका आरोप केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर है. सरकार द्वारा कानून वापसी के ऐलान के बाद किसानों ने अपनी कई और मांगे सरकार के सामने रखी थीं. जब सरकार ने उनकी सभी शर्तें मान ली, तब किसानों ने अपने प्रदर्शन वापस लिया.
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