एनसीपी नेता अजित पवार के मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा के बारे में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन हर कोई मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मैंने अजित पवार का इंटरव्यू नहीं देखा है. किसी के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखने में कुछ भी गलत नहीं है, कई इसे पसंद करते हैं, लेकिन हर कोई नहीं बन सकता. हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं."
फडणवीस ने कहा, "मुझे नहीं पता कि महा विकास अघाड़ी के भीतर क्या चल रहा है. मैंने बार-बार कहा है कि वे 'वज्र मठ' कह रहे हैं लेकिन उस मठ में कई दरारें हैं, यह वज्र मठ कभी नहीं हो सकता."
इससे पहले अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि उनका संगठन (NCP) 2024 के राज्य विधानसभा चुनाव का इंतजार करने के बजाय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए "अभी" दावा कर सकता है. विधानसभा में विपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि वे "100 फीसदी" महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनना पसंद करेंगे.
पुणे में एक इंटरव्यू में पवार ने कहा कि उन्होंने सुना है कि जून 2022 में शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ बगावत से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नाखुश थे और उनके दिमाग में कुछ चल रहा था.
अजित पवार ने खुलासा किया कि 2004 में जब एनसीपी ने गठबंधन की अपनी सहयोगी कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीती थीं, तो उस वक्त उनके सहकर्मी दिवंगत आरआर पाटिल मुख्यमंत्री बन सकते थे. लेकिन दिल्ली से एक संदेश आया कि उनकी पार्टी को उपमुख्यमंत्री पद मिलेगा.
यह पूछने पर कि क्या एनसीपी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद पर दावा करेगी? उन्होंने कहा, ‘‘2024 क्यों, हम अभी भी मुख्यमंत्री पद पर दावा करने को तैयार हैं.'' हालांकि, उन्होंने इस बयान को स्पष्ट नहीं किया.
यह पूछने पर कि एनसीपी को उपमुख्यमंत्री पद से इतना लगाव क्यों है? पवार ने कहा कि 2004 में एनसीपी और कांग्रेस ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा और एनसीपी को ज्यादा सीटें हासिल हुईं.
अजित पवार ने कहा, ‘‘हमें 71 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 69 सीटें हासिल हुईं. कांग्रेस सहित सभी को लगा कि मुख्यमंत्री एनसीपी से होगा. लेकिन उच्च स्तर पर कुछ फैसले लिए गए और दिल्ली से एक संदेश आया कि एनसीपी को उपमुख्यमंत्री पद मिलेगा और मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस के हिस्से में चला गया.''
पवार ने कहा कि उनके सहकर्मी पाटिल को सदन का नेता चुना गया और 2004 में अगर शीर्ष पद एनसीपी को मिला होता, तो वे मुख्यमंत्री बन गए होते. पवार ने कहा, उसके बाद वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एन्सीपी से ज्यादा सीटें मिलीं, तो स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री पद उसने अपने पास रख लिया.
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