कोई कार की डिग्गी में भरकर ले जा रहा, कोई ऑटो में! बकरीद पर बकरों की SALE देखिए

पुरानी दिल्ली के मीना बाजार, सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, शास्त्री पार्क, जहांगीरपुरी और ओखला आदि इलाकों में बकरों की मंडियां लगती हैं. मंडियों में, ‘तोतापरी’, ‘बरबरा’, ‘मेवाती’, ‘देसी’, ‘अजमेरी’ और ‘बामडोली’ जैसी नस्लों के बकरे बिक्री के लिए लाए गए हैं.

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Bakrid 2024: किलोग्राम के हिसाब से बिक रहे हैं बकरे
नई दिल्ली:

ईद-उल-अज़हा इस बार 17 जून को मनाई जाएगी. इस त्योहार को ईद-उल-ज़ुहा और बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी, जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.

तीन दिन चलने वाले त्योहार में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं, जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है. 

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देशभर के बाजारों में बकरीद की रौनक देखने को मिल रही है और लोग जमकर बकरे खरीद रहे हैं. लोग अपनी कार, टैक्सी या ऑटो में बकरों को घर ले जा रहे हैं. 

दिल्ली में ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के मौके पर लगने वाली पशु मंडियों में अब किलोग्राम के हिसाब से बकरों की खरीद-फरोख्त का चलन बढ़ रहा है. कुछ साल पहले तक बकरों की बिक्री सिर्फ कद-काठी के हिसाब से होती थी, लेकिन इस बार देखने में आ रहा है कि बकरे किलोग्राम के हिसाब से भी बेचे जा रहे हैं.

तौल के हिसाब से बकरों का कारोबार करने वालों का कहना है कि कोविड के कारण लगे लॉकडाउन से किलोग्राम के हिसाब से बकरों की बिक्री का चलन शुरू हुआ है और लोग इसे अच्छी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं.

हर साल उत्तर प्रदेश के बरेली, अमरोहा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बदायूं के अलावा हरियाणा और राजस्थान से भी बकरा व्यापारी दिल्ली के अलग-अलग इलाके में लगने वाली बकरा मंडियों का रुख करते हैं.

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पुरानी दिल्ली के मीना बाजार, सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, शास्त्री पार्क, जहांगीरपुरी और ओखला आदि इलाकों में बकरों की मंडियां लगती हैं. मंडियों में, ‘तोतापरी', ‘बरबरा', ‘मेवाती', ‘देसी', ‘अजमेरी' और ‘बामडोली' जैसी नस्लों के बकरे बिक्री के लिए लाए गए हैं.

जामा मस्जिद के पास मीना बाजार में किलोग्राम के हिसाब से बकरों का कारोबार कर रहे फैज़ान आलम ने कहा कि इस बार ‘तोतापरी', ‘बरबरा', ‘मेवाती' नस्ल के बकरे 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचे जा रहे हैं. उनके मुताबिक, तौल के हिसाब से यह जानवर खरीदना कद-काठी देखकर बकरा खरीदने से सस्ता पड़ता है.

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 ‘मेवाती' और ‘तोतापरी' नस्ल का 70 किलोग्राम का बकरा 35 हजार रुपये का पड़ जाएगा, जबकि बिना तौल से खरीदेने पर 50-55 हजार रुपये से कम का नहीं होगा. ‘मेवाती' और ‘तोतापरी' नस्ल के बकरे ऊंचे और ह्ट्टे-कट्टे होते हैं तथा उनके कान लंबे-लंबे होते हैं. ‘तोतापरी' नस्ल के बकरे के नीचे के दांत बाहर और ऊपर के दांत अंदर की तरफ होते हैं.

एक कारोबारी ने कहा किलोग्राम के हिसाब से बकरों के व्यापार से आम आदमी को फायदा होता है, क्योंकि उसे अंदाज़ा हो जाता है कि उसने कैसे और कितना भारी पशु लिया है. (भाषा इनपुट के साथ)

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