हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ईडी, कहा- 'हाईकोर्ट का फैसला अवैध'

हेमंत सोरेन 28 जून को बेल मिलने के बाद जेल से बाहर आए थे. जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में झारखंड हाईकोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की थी.

Advertisement
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देने के फैसले के खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है. ईडी ने कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश अवैध है और टिप्पणियां पक्षपातपूर्ण हैं.

ईडी का कहना है कि हाईकोर्ट ने ये गलत कहा है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है.

हेमंत सोरेन 149 दिन बाद 28 जून को जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए थे. जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में झारखंड हाईकोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की थी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, "कोर्ट के समक्ष अब तक जो तथ्य लाए गए हैं, उसमें ये मानने का कोई आधार नहीं है कि सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी हैं."

हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में 31 जनवरी को करीब आठ घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्होंने ईडी की हिरासत में रात साढ़े आठ बजे राजभवन पहुंचकर सीएम पद से इस्तीफा दिया था. 1 फरवरी को उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेजा गया था. 149 दिनों के बाद वो जेल से बाहर आए थे.

आज ही हेमंत सोरेन सरकार ने हासिल किया है विश्वास मत

झारखंड विधानसभा में आज ही हेमंत सोरेन सरकार ने विश्वास मत हासिल किया है. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में मनोनीत सदस्य ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन सहित कुल 45 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और झामुमो नीत गठबंधन के 10 अन्य नेताओं ने मंत्री के तौर पर शपथ भी ली है.

झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने चार जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. ईडी द्वारा 31 जनवरी को गिरफ्तार किए जाने से कुछ देर पहले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

इससे पहले उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने दलील दी थी कि यदि सोरेन को जमानत पर रिहा किया गया तो वह इसी तरह का अपराध कर सकते हैं और उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पुलिस थाने में ईडी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का हवाला दिया था.

उच्च न्यायालय ने जमानत आदेश में कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने उनके आचरण को रेखांकित किया है, लेकिन मामले के समग्र परिप्रेक्ष्य में, याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है.''

Advertisement
Featured Video Of The Day
Iran Vs Israel: Middle East में जारी तनाव के बीच Taliban की लगी लॉटरी! धड़ल्ले से नोट छाप रहा Afghanistan
Topics mentioned in this article