झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देने के फैसले के खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है. ईडी ने कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश अवैध है और टिप्पणियां पक्षपातपूर्ण हैं.
ईडी का कहना है कि हाईकोर्ट ने ये गलत कहा है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है.
हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में 31 जनवरी को करीब आठ घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्होंने ईडी की हिरासत में रात साढ़े आठ बजे राजभवन पहुंचकर सीएम पद से इस्तीफा दिया था. 1 फरवरी को उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेजा गया था. 149 दिनों के बाद वो जेल से बाहर आए थे.
आज ही हेमंत सोरेन सरकार ने हासिल किया है विश्वास मत
झारखंड विधानसभा में आज ही हेमंत सोरेन सरकार ने विश्वास मत हासिल किया है. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में मनोनीत सदस्य ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन सहित कुल 45 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और झामुमो नीत गठबंधन के 10 अन्य नेताओं ने मंत्री के तौर पर शपथ भी ली है.
इससे पहले उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने दलील दी थी कि यदि सोरेन को जमानत पर रिहा किया गया तो वह इसी तरह का अपराध कर सकते हैं और उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पुलिस थाने में ईडी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का हवाला दिया था.
उच्च न्यायालय ने जमानत आदेश में कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने उनके आचरण को रेखांकित किया है, लेकिन मामले के समग्र परिप्रेक्ष्य में, याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है.''