बेहतर क्या है, हाथ से खाना या कांटा छुरी से? ज़ोहरान ममदानी के हाथ से खाने पर विवाद

न्यूयॉर्क के मेयर चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी के हाथ से खाना खाने पर विवाद हो गया है. भारतीय मूल के ममदानी के हाथ से चावल खाने के एक वीडियो को लेकर यह विवाद पैदा हुआ. रिपब्लिकन नेता ब्रैंडन गिल ने इस तरह से खाने को असभ्य बताया है.

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  • न्यूयॉर्क मेयर चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी के हाथ से खाना खाने पर विवाद छिड़ा हो गया है.
  • रिपब्लिकन पार्टी के नेता ब्रैंडन गिल ने ममदानी के चावल खाने का वीडियो पोस्ट कर आपत्ति जताई है.
  • लोग गिल की टिप्पणी को नस्लभेदी बता रहे हैं. इससे सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर शाहरुख खान और आमिर खान तक हाथ से खाते हैं.
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नई दिल्ली:

अमेरिका में न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए डेमोक्रेट उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी के हाथ से खाना खाने पर एक विरोधी नेता ने आपत्ति जताई है. इसके बाद ये मुद्दा बहस का विषय बन गया है. अमेरिका के रिपब्लिकन राजनेता ब्रैंडन गिल ने भारतीय मूल के ममदानी का एक वीडियो पोस्ट किया है.इसमें वो हाथ से चावल खा रहे हैं. गिल ने साथ में लिखा है, ''अमेरिका में सभ्य लोग इस तरह खाना नहीं खाते. अगर आप पश्चिमी तौर तरीकों को नहीं अपनाना चाहते, तो आप तीसरी दुनिया में चले जाइए.'' इसके बाद विवाद खड़ा हो गया. सोशल मीडिया पर उनकी इस टिप्पणी को नस्लभेदी टिप्पणी कहते हुए आलोचना होने लगी.

लेकिन, इस विवाद ने एक सवाल ज़रूर पैदा कर दिया है कि हाथ से खाना खाने पर आपत्ति जताने का क्या मतलब है, क्योंकि भारत में हाथ से भोजन करना एक परंपरा रही है और कभी भी इस पर सवाल नहीं उठाया जाता कि ऐसा करना ग़लत है. बल्कि भारतीय परंपरा में हाथ से भोजन करने के कई फायदे बताए जाते रहे हैं.

डॉ. राधाकृष्णन और चर्चिल का डिनर

भारत में हाथ से खाने की परंपरा को लेकर एक दिलचस्प घटना भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन से जुड़ी है. डॉ राधाकृष्णन एक बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के साथ डिनर करने गए. वहां खाना खाने से पहले उन्होंने हमेशा की तरह पहले अपने हाथ धोए और पारंपरिक तरीके से खाना शुरू किया. चर्चिल छुरी-चम्मच से खाने लगे. थोड़ी देर में चर्चिल ने डॉ. राधाकृष्णन को समझाने की कोशिश की कि उन्हें भी छुरी-चम्मच से खाना चाहिए क्योंकि वो साफ़ होते हैं.

डॉ. राधाकृष्णन ने कुछ पल सोचा और फिर कहा कि हाथ से खाना ज़्यादा बेहतर होता है क्योंकि छुरी-चम्मच का इस्तेमाल तो कई लोग करते हैं और हाथ का इस्तेमाल सिर्फ़ जो खाना खाता है वही करता है. उन्होंने कहा,''बहुत सारे लोग एक ही चम्मच से खाते हैं, जबकि आप सिर्फ अपना हाथ इस्तेमाल करते हैं. तो कौन ज़्यादा साफ़ हुआ, आप खुद ये सवाल अपने आप से पूछ सकते हैं? मैं तो कहूँगा कि आप भी जब किसी रेस्तरां में जाएँ तो बिना डरे हाथ से ही खाएं. भारत में हमलोग चम्मच से नहीं खाते.''

पीएम मोदी से लेकर शाहरूख तक की पहली पसंद

भारत में हाथ से खाना खाने की परंपरा इतनी सामान्य है कि नामी-गिरामी शख्सियतें भी हाथ से खाना खाती हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर शाहरुख खान, आमिर खान, कंगना रनौत जैसे बड़े अभिनेता और एमएस धोनी, सचिन तेंदुलकर और शिखर धवन जैसे बड़े क्रिकेटरों के हाथ से खाना खाने की तस्वीरें और वीडियो मिल जाते हैं.

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यही नहीं विदेशों में भी कई बड़ी हस्तियां चाव से हाथों से खाना खाती रही हैं, जिनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और मशहूर अभिनेत्री मैरिलिन मुनरो जैसे बड़े नाम शामिल हैं. अमेरिका में जन्मी और भारत में बसी लेखिका टेरा रेनी तो कहती हैं कि भारत में आने के बाद तो अब वो हाथ से ही खाना खाती हैं.

भारत के अलावा और कई देशों में हाथों से खाना खाने का रिवाज है. इनमें नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, फिलिपींस, इथियोपिया, नाइजीरिया, मोरक्को, मिस्र, यमन जैसे देश शामिल हैं.

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सद्गुरु का समर्थन

सद्गुरु जग्गी वासुदेव हाथ से भोजन करने के बड़े समर्थक हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने विस्तार से इसके बारे में बताया है. सद्गुरु इसमें कहते हैं,''अगर आप अपने हाथ से भोजन को स्पर्श नहीं करते हैं, तो आपको पता नहीं होता कि ये क्या है. अगर खाना छूने के लायक नहीं है, तो वो आपके खाने के लायक भी नहीं होगा. हमें सबसे पहली बात यही सिखाई गई है कि अगर आपके सामने खाना आ जाए, तो पहले कुछ देर आपको खाने को अपने हाथों में रखना चाहिए. हाथ भोजन को अहसास करने का पहला स्तर है. यह जीभ की तरह खाने को नहीं चखता, लेकिन यह खाने को जानता है. तो सबसे पहली चीज़ है, खाने को जानना.''

सुविधाजनक है हाथ से खाना

भारत में कई ऐसी चीजें हैं जिसे कांटा-चम्मच से नहीं खाया जा सकता, जैसे रोटी, पराठा, पूरी, जलेबी…और जो मांसाहारी हैं उन्हें भी. कांटा-छुरी से चिकन और मछली खाने में बड़ी असुविधा होती है. दक्षिण भारत में तो कई जगहों पर लोग केले के पत्तों पर खाना खाते हैं. अब भला केले के पत्ते पर कांटा-छुरी कैसे काम आ सकते हैं? इसी तरह से जिस बर्गर और हाटडॉग के अमेरिकी लोग दिवाने हैं, उसे भी कांटा-छुरी से नहीं खाया जा सकता है. 

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आयुर्वेद में बताया गया लाभकारी

हाथ से खाने को आयुर्वेद में भी लाभकारी बताया गया है. कहा गया है कि यह पाचन के लिए अच्छा होता है. आयुर्वेद में सभी उंगलियों को अंगूठे को स्पर्श करने को समान मुद्रा कहा गया है. ये माना जाता है कि इस मुद्रा से शरीर की पाचन शक्ति बढ़ जाती है. आयुर्वेद के अनुसार प्रत्येक उंगली का अपना आध्यात्मिक महत्व होता है जो हमारे भोजन और पाचन को प्रभावित करता है. अंगूठा अग्नि, तर्जनी वायु, मध्यमा आकाश, अनामिका पृथ्वी और कनिष्ठ उंगली जल का प्रतिनिधित्व करती है. ऐसा माना जाता है कि जब हम हाथों से खाते हैं तो हर उंगली उस तत्व को लेकर आती है और मिलकर हमारे अंदरूनी तंत्र को सुचारू और संतुलित रूप से चलाते हैं. इसके अलावा समझा जाता है कि भोजन को स्पर्श करने से मानसिक तंत्र शरीर को ऐसे एंजाइम और पाचक द्रव्य तैयार करने का संदेश देता है जो भोजन को पचाने में सहायक होते हैं.

वैज्ञानिक रूप से समझा जाता है कि हाथों से खाने से पाचन बेहतर होता है क्योंकि हाथों पर ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो हानिकारक नहीं होते और हमारे शरीर को पर्यावरण में मौजूद अति सूक्ष्म रोगाणुओं से बचाते हैं.ये भी माना जाता है कि हाथों से हमारी मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है. इससे रक्त संचालन तेज़ हो जाता है.इसके साथ ही, माना जाता है कि हाथ से खाने से हमारे मस्तिष्क में मौजूद तंत्रिकाएं भोजन के तापमान का अनुमान लगा लेती हैं कि वो कितना ठंडा या गर्म है.

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इस तरह समझा जा सकता है कि हाथों से खाना खाने के कई फायदे हैं.लेकिन इसके साथ ही ये ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि खाने से पहले हाथों को साफ़ रखा जाए, ताकि धूल-मिट्टी या गंदगी के संपर्क से आने वाले नुकसानदेह बैक्टीरिया से बचाव किया जा सके.

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