"हम विधानसभा के प्रति जवाबदेह, न कि उप राज्‍यपाल के" : सुप्रीम कोर्ट में दिल्‍ली सरकार ने रखा पक्ष

दिल्ली सरकार के उठाए इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक केंद्र से जवाब मांगा है.

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दिल्ली सरकार Vs केंद्र मामला....
नई दिल्ली:

Delhi government vs Centre: दिल्ली सरकार बनाम केंद्र मामले में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है. दिल्‍ली सरकार की ओर से कहा गया है कि सरकार विधानसभा के प्रति जवाबदेह है न कि उप राज्यपाल के क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल को भी उतने ही अधिकार हैं जितने उत्तरप्रदेश या किसी भी राज्य के राज्यपाल को. दिल्ली में उपराज्यपाल को भी चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से ही काम करना होगा. केंद्र सरकार कानून बनाकर दिल्ली सरकार के संविधान प्रदत्त अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती. दिल्ली सरकार के उठाए इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक केंद्र से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता को कहा है कि वो 27 अप्रैल को इस मुद्दे पर केंद्र की ओर से बहस करें. मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.  दरअसल, दिल्ली सरकार Vs केंद्र  GNCTD (संशोधन) अधिनियम 2021 के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की स्पेशल बेंच ने ये समय दिया है.

दरअसल केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा था. तुषार मेहता ने कहा कि GNCTD (संशोधन) अधिनियम, 2021 और अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला एक-दूसरे से जुड़ा है. दोनों मामलों को एक साथ ही सुना जाना चाहिए.वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दिल्ली सरकार कामकाज नहीं कर पा रही है. दिल्ली सरकार विभाग A से B में ट्रांसफर नहीं कर सकती. सरकार कैसे चलेगी? अदालत को सामान्य प्रशासन का अनुभव है. जब प्रशासित किए जा रहे व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता तो सरकार की क्या क्षमता रहेगी. सेवा मामले को अलग से सुना जाना चाहिए. CJI एनवी रमना की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने ये सुनवाई की. अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर ये सुनवाई  हुई.

 तीन मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने GNCTD (संशोधन) अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.  कोर्ट ने 4 सप्ताह के भीतर केंद्र से जवाब मांगा है. संशोधन मामले को संविधान पीठ भेजने का केंद्र का अनुरोध खारिज किया था. अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में भी इसके साथ ही सुनवाई की बात कही गई थी. सुनवाई के दौरान CJI ने कहा था कि हमें नहीं लगता कि पांच जजों को भेजे जाने की आवश्यकता है.  मुझे लगता है कि हम तीनों मामले को सुलझा सकते हैं. यदि आप हमें दिखाएंगे कि पांच जजों को भेजा जाए तो देखेंगे. केंद्र की ओर से  ASG संजय जैन ने कहा कि याचिका पहले से ही दिल्ली HC के समक्ष लंबित है. 

दरअसल, केजरीवाल सरकार ने  दिल्ली सरकार GNCTD (संशोधन) अधिनियम 2021 (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021) को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने CJI के समक्ष इस मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के फैसले के विपरीत और अनुच्छेद 239एए के खिलाफ है. दरअसल, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभावी होने के बाद दिल्ली में 'सरकार' का मतलब उपराज्यपाल हो गया है.  

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गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक, अधिनियम के प्रावधान 27 अप्रैल,2021 से प्रभावी है. दरअसल, बीते साल 28 अप्रैल को दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़ती स्थिति के बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली में GNCTD कानून को अमल में लाने की अधिसूचना जारी कर दी थी. गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना में कहा गया था कि 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम 2021, 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है. अब दिल्ली में सरकार का अर्थ उपराज्यपाल है. दिल्ली सरकार दिल्ली विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंज़ूरी देने की ताकत अब उपराज्यपाल के पास आ गई है. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले उपराज्यपाल से सलाह लेनी होगी.  इसके अलावा दिल्ली सरकार अपनी ओर से कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी.

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