क्या शराब घोटाले का आरोप अरविंद केजरीवाल और AAP पर पड़ रहा भारी? HC ने रोकी जमानत, अब आगे क्या?

केजरीवाल के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, "दलीलों पर सही ढंग से बहस नहीं हुई थी. इसलिए राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को रद्द करते हैं. फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल को जमानत देते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया.

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अरविंद केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को सीएम हाउस से गिरफ्तार किया था.

नई दिल्ली:

दिल्ली के शराब नीति मामले (Delhi Liquor Policy Scam) में घिरे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट से मंगलवार को तगड़ा झटका लगा. हाईकोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए उनकी जमानत पर रोक लगा दी है. यानी केजरीवाल (Kejriwal Bail) अभी तिहाड़ जेल में ही रहेंगे. लोअर कोर्ट ने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को रेगुलर बेल दी थी. ED ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिसके बाद अदालत ने 21 जून को लोअर कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया गया. अब बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सीएम की जमानत याचिका पर फैसला होना है. 

इस बीच अरविंद केजरीवाल को लेकर 5 सवाल उठ रहे हैं. इनके जवाब दिल्ली की जनता, आम आदमी पार्टी, आम आदमी पार्टी के नेताओं, समर्थकों और यहां तक की खुद केजरीवाल के लिए बहुत मायने रखते हैं. आइए समझते हैं क्या दिल्ली सरकार बिना मुख्यमंत्री कैसे और कब तक चल पाएगी? जमानत नहीं मिलने पर क्या अरविंद केजरीवाल अब CM पद से इस्तीफा देंगे? अब उनके सामने क्या हैं कानूनी विकल्प?

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दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?
केजरीवाल के मामले में अदालत ने कहा, "दलीलों पर सही ढंग से बहस नहीं हुई थी. इसलिए राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को रद्द करते हैं. फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल को जमानत देते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया. लोअर कोर्ट को ED को बहस करने के लिए मौका देना चाहिए था."

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हाईकोर्ट का यह भी मानना है, "सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा के लिए जमानत दी थी. एक बार जब उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट से खारिज कर दी गई है, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि कानून का उल्लंघन करके उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था."

AAP ने क्या कहा?
केजरीवाल की जमानत पर रोक के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा, "हम हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. जमानत पर आदेश को इस तरह से नहीं रोका जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है."

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क्या शराब घोटाले का आरोप AAP सरकार पर  पड़ रहा भारी है?
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे ने NDTV से कहा, "इस पूरे मामले में किसका कानूनी पलड़ा भारी है, ये जज के विवेक पर निर्भर करता है. PMLA की 2 शर्तें भी इसमें अहम रोल निभाएंगी. क्योंकि PMLA के प्रोविजन्स कॉग्निजेबल हैं और नॉन बेलेबल यानी गैर जमानती भी. जज ने कहा है कि लोअर कोर्ट ने फैसला सुनाते समय धारा 45 PMLA पर विचार नहीं किया. यानी साबित करने का बोझ पूरी तरह से आरोपी यानी अरविंद केजरीवाल पर रहेगा."

क्या केजरीवाल की बढ़ती जा रही राजनीतिक चुनौती?
लोकसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने विपक्ष के नेताओं को INDIA अलायंस के बैनर तले लाने में एक तरह से मैग्नेट का काम किया था. अब जमानत रद्द होने से क्या केजरीवाल की राजनीतिक चुनौती बड़ी होती जा रही है? इस सवाल के जवाब में राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "बेशक चुनौती बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव की बात करें, तो बेशक दिल्ली में कांग्रेस और AAP का वोट ट्रांसफर हुआ. लेकिन केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली रिहाई के बाद आम आदमी पार्टी को चुनाव में जिस सिंपैथी फैक्टर की उम्मीद थी, वो उसे नहीं मिल पाई. सिंपैथी फैक्टर दिल्ली में काम नहीं किया. BJP की बेशक यूपी-महाराष्ट्र में सीटें कम हुईं, लेकिन दिल्ली की सातों सीटों पर वह जीतकर वापस आई."

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अमिताभ तिवारी कहते हैं, "अलायंस के दौरान भी AAP और कांग्रेस के बीच थोड़ी बहुत खटपट देखने को मिली थी. केजरीवाल ने तंज भरे लहजे में कह दिया था कि कांग्रेस से AAP की कोई शादी नहीं हुई है. अब इस स्थिति में केजरीवाल और AAP पर दबाव तो बनेगा. AAP को कई मुद्दों पर आगे अकेले लड़ना पड़ सकता है."

क्या अब केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे?
इस सवाल के जवाब में अमिताभ तिवारी कहते हैं, "ये कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन जैसे-जैसे हालात बन रहे हैं, केजरीवाल को सख्त फैसला लेना पड़ सकता है. बेशक सुनीता केजरीवाल आगे आ रही हैं, लेकिन अभी पार्टी को संभालने में उन्हें काफी वक्त लगेगा."

क्या कांग्रेस उठा सकती है फायदा?
अमिताभ तिवारी कहते हैं, "कांग्रेस पार्टी अभी अच्छे पोजिशन पर है. ऐसे में अगर कांग्रेस को दिल्ली में खुद को रिवाइव करना है, तो AAP को कमजोर करके की रिवाइव कर पाएगी. AAP ने भी तो ऐसा ही किया था. AAP ने कांग्रेस का सारा वोट खींच लिया था."

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दिल्ली सरकार बिन मुख्यमंत्री कैसे चल पाएगी?
क्या जेल में केजरीवाल के रहते दिल्ली की सरकार चल पाएगी? इसके जवाब में अश्विनी दुबे कहते हैं, "आगे और भी मुश्किलें आएंगी. क्योंकि हम देख रहे हैं कि केजरीवाल के बिना आम आदमी पार्टी कैसे तितर-बितर की स्थिति में है. पानी का संकट देखें या बिजली का संकट... मंत्री चीजें ठीक ने नहीं संभाल पा रहे हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए जरूरी है कि जल्द से जल्द केजरीवाल की रिहाई सुनिश्चित किया जा सके. अगले चुनाव से पहले केजरीवाल का जेल से बाहर आना बहुत जरूरी है."

केजरीवाल के सामने अब कितने कानूनी विकल्प हैं?
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे कहते हैं, "केजरीवाल के पास अब हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प है. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 जून को सीएम केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करते हैं. सुनवाई की अगली तारीख 26 जून की तय की है. अब सीएम केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार होगा.

कब गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल?
दिल्ली के शराब नीति केस में ED ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इस गिरफ्तारी को सीएम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जिसके बाद शीर्ष अदालत ने उन्हें 21 दिनों के लिए अंतरिम जमानत दी थी. केजरीवाल ने कोर्ट के आदेश पर 2 जून को तिहाड़ जेल में सरेंडर किया था. गुरुवार को राउज एवेन्यू अदालत ने उन्हें रेगुलर बेल मिल गई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है.

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