दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना (Agnipath scheme)को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. हाईकोर्ट ने अग्निपथ को सीधे तौर पर चुनौती देने वाली याचिकाओं के अलावा पिछले कुछ विज्ञापनों के तहत सशस्त्र बलों में भर्ती प्रक्रियाओं से संबंधित याचिकाओं पर भी अपना फैसला सुरक्षित रखा, जिन्हें अग्निपथ योजना शुरू होने के बाद रोक दिया गया था.
सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि जून 2021 में सशस्त्र बलों में अन्य सभी भर्तियों को रोकने और उन्हें रद्द नहीं करने का निर्णय इसलिए लिया गया था, क्योंकि तब तक अग्निपथ योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया था. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि अग्निपथ योजना को इस साल जून में अंतिम रूप देकर आधिकारिक राजपत्र के जरिए अधिसूचित किया गया था.
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील और केंद्र सरकार को 23 दिसंबर तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है, जिसके बाद अदालत में शीतकालीन अवकाश होगा.
इस साल 14 जून को शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत सशस्त्र बलों में युवकों की भर्ती के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों के अनुसार, साढ़े 17 से 21 वर्ष की उम्र के लोग आवेदन करने के पात्र हैं. उन्हें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाएगा.
चार साल के बाद इनमें से 25 प्रतिशत को नियमित सेवा प्रदान करने का मौका दिया जाएगा. योजना के ऐलान के बाद कई राज्यों में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे. बाद में सरकार ने साल 2022 के लिए भर्ती की अधिकतम उम्र सीमा बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी थी.
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