दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में प्रिया रमानी को बरी करने के खिलाफ एमजे अकबर की याचिका स्वीकार की

अकबर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि वह इस मामले में किसी अंतरिम आदेश का अनुरोध नहीं कर रहे क्योंकि उन्होंने बरी करने को चुनौती दी है और उन्होंने अदालत से अपील स्वीकार करने का अनुरोध किया.

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रमानी ने 2018 में ‘मी टू' मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
नई दिल्‍ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) पत्रकार प्रिया रमानी (Priya Ramani) के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर (MJ Akbar) की आपराधिक मानहानि के मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अकबर की याचिका पर विचार करने के लिए गुरुवार को सहमत हो गया. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने कहा, ‘‘सुनवाई के लिए सहमत हैं. नियत समय के लिए सूचीबद्ध किया जाता है.'' न्यायमूर्ति गुप्ता ने पिछले साल अगस्त में अपील पर रमानी को नोटिस जारी किया था. वकील भावुक चौहान अदालत में रमानी की ओर से पेश हुए और अकबर की अपील पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा.

अकबर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि वह इस मामले में किसी अंतरिम आदेश का अनुरोध नहीं कर रहे क्योंकि उन्होंने बरी करने को चुनौती दी है और उन्होंने अदालत से अपील स्वीकार करने का अनुरोध किया. न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि शिकायतकर्ता को अर्जी दायर करने का अधिकार है और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया. अकबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा भी पेश हुईं. 

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अपनी अर्जी में अकबर ने दलील दी कि निचली अदालत ने अनुमान और अटकल के आधार पर उनके आपराधिक मानहानि के मामले में फैसला सुनाया, जबकि यह यौन उत्पीड़न का मामला था. सीनियर पार्टनर, करंजावाला एंड कंपनी के संदीप कपूर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत रिकॉर्ड पर मौजूद दलीलों और सबूतों का मूल्यांकन करने में विफल रहा.

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अकबर ने इस मामले में रमानी को बरी करने के निचली अदालत के 17 फरवरी, 2021 के आदेश को चुनौती दी है. निचली अदालत ने रमानी को इस आधार पर बरी किया था कि एक महिला को दशकों बाद भी अपनी पसंद के किसी भी मंच पर शिकायत रखने का अधिकार है. निचली अदालत ने अकबर की शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि रमानी के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है. अदालत ने कहा कि रमानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 (मानहानि के अपराध के लिए सजा) के तहत दंडनीय अपराध के संबंध में अकबर का मामला साबित नहीं होता है और रमानी को बरी किया जाता है.

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रमानी ने 2018 में ‘मी टू' (#Meetoo movement) मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अकबर ने दशकों पहले उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने के मामले में रमानी के खिलाफ 15 अक्टूबर, 2018 को शिकायत दर्ज कराई थी. अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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