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दिल्ली में इस बार पराली जलाने से नहीं बढ़ा प्रदूषण, गाड़ियों के धुएं से जहरीली हो रही हवा : स्टडी

Delhi Air Pollution: पर्यावरण विशेषज्ञों के आंकलन के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण के आंतरिक स्रोतों में वाहनों का योगदान 50% से 60% तक है, जो बहुत चिंताजनक है. एक तरफ जहां सरकार प्रदूषण संकट से जूझ रही है. वहीं आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है

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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर GRAP का चौथा स्टेज लागू किया गया है.
नई दिल्ली:

देश की राजधानी दिल्ली पिछले कई दिनों से गैस चैंबर (Delhi Air Pollution) बनी हुई है. एयर क्वालिटी (Delhi AQI) हर दिन गिरती जा रही है. अभी ये खतरनाक कैटेगरी में है. बढ़ते प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों पंजाब, यूपी, राजस्थान और हरियाणा में पराली जलाने (Stubble burning) को बड़ी वजह माना जा रहा है, लेकिन एक स्टडी के मुताबिक, इस बार दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के पीछे की वजह पराली जलाना या खेतों में लगाई गई आग नहीं है. स्थानीय कारणों से दिल्ली (Delhi Pollution Update) की हवा जहरीली होती जा रही है. दिल्ली के प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी पिछले कुछ सालों के मुकाबले अब तक कम रिकॉर्ड की गई है. दिल्ली में प्रदूषण के आंतरिक स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़ गई है.  

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रॉयचौधरी ने NDTV को बताया कि उनकी हालिया रिपोर्ट में पाया गया है कि दिल्ली-एनसीआर में PM 2.5 का स्तर 2 नवंबर को 24 घंटे के अंदर 68 प्रतिशत बढ़ गया, जो बेहद चौंकाने वाला है. इसकी वजह से प्रदूषण का संकट अचानक गहरा गया."

दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 50% से 60% तक
पर्यावरण विशेषज्ञों के आंकलन के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण के आंतरिक स्रोतों में वाहनों का योगदान 50% से 60% तक है, जो बहुत चिंताजनक है. एक तरफ जहां सरकार प्रदूषण संकट से जूझ रही है. वहीं आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है

CSE की अर्बन लैब के एनालिसिस में समझाई गईं वजहें
CSE की अर्बन लैब के एनालिसिस में दिल्ली की जहरीली हवा के पीछे प्रमुख वजहों को उजागर किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल अबतक प्रदूषण के स्तर में हुई वृद्धि असामान्य नहीं है. आमतौर पर उत्तर भारतीय राज्यों में किसान सर्दियों की फसल पर काम शुरू करने से पहले पराली जलाते हैं. लेकिन, दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स में उछाल के पीछे दिल्ली-एनसीआर में धुएं की आवाजाही में मदद करने वाले मौसम संबंधी कारक भी हैं." 

CSE के अर्बन लैब के प्रमुख अविकल सोमवंशी ने कहा, "यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कम समय में यह तीव्र वृद्धि एयर क्वालिटी को गंभीर कैटेगरी में ले जाने में सक्षम है, क्योंकि स्थानीय स्रोतों से बेसलाइन प्रदूषण पहले से ही बहुत अधिक है."

2020 के बाद ये अभी तक का सबसे सीवियर स्मॉग
अनुमिता रॉयचौधरी ने बताया, " जब स्मॉग की शुरुआत हुई, तो हम काफी चौकन्ने हुए. क्योंकि प्रदूषण काफी रफ्तार से बढ़ा. 24 घंटे में ही 68% तक प्रदूषण बढ़ चुका था. उसके बाद 4 दिनों तक लगातार 300 से ज़्यादा स्तर पर PM2.5 का कंसंट्रेशन रहा. शायद 2020 के बाद ये अभी तक का सबसे सीवियर स्मॉग है." उन्होंने कहा, "दिल्ली-एनसीआर की हवा में PM2.5 स्तरों में अभूतपूर्व वृद्धि, ऐसे समय में दर्ज की गई; जब राजधानी के PM2.5 लेवल में पराली जलाने की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घट रही है."

पराली की हिस्सेदारी दिल्ली के PM2.5 में 25% से 26% तक
सरकारी संस्था SAFAR की तरफ से जारी आकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में पराली की हिस्सेदारी दिल्ली के PM2.5 लेवल में 25% से 26% है, जो पिछले वर्षों की तुलना में कम है. पराली की हिस्सेदारी दिल्ली के PM2.5 लेवल में एक दिन में 2022 में सर्वाधिक 34%, 2021 में 48%, 2020 में 42%, 2019 में 44% और 2018 में 58% रही थी. दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान इस साल अब तक कम है. 

अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा, "इसका मतलब है कि दिल्ली में ज्यादातर प्रदूषण स्थानीय स्रोतों या क्षेत्रीय स्रोतों से आ रहा है. अगर हम इस तथ्य पर ध्यान नहीं देंगे. हम अपना ध्यान किसी एक कारण पर केंद्रित रखेंगे, तो हमें समस्या का समाधान नहीं मिल पाएगा".

लोगों को सांस लेने में हो रही दिक्कत
पश्चिम बंगाल से MBA करने दिल्ली आए दीपक बताते हैं, "2 नवंबर को जिस दिन दिल्ली में जबरदस्त स्मॉग छाया हुआ था, उसी दिन से मुझे सर्दी खांसी होने लगी. मैं एक डॉक्टर के पास गया. उन्होंने मुझे मास्क का इस्तेमाल करने और सभी सावधानियां बरतने की सलाह दी है." दीपक के दोस्त हर्ष बताते हैं, "हम प्रदूषण से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं. हमारे कुछ दोस्तों ने सीने में दर्द होने की शिकायत भी की है."

जाहिर है, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के बढ़ते असर से निपटने की चुनौती बड़ी हो रही है. सरकार को इसका लॉन्ग-टर्म समाधान जल्द से जल्द खोजना होगा. 

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