- CPI (माओवादी) ने सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने और केंद्र सरकार से शांति वार्ता की इच्छा जताई है.
- नक्सली प्रवक्ता अभय ने एक महीने का युद्धविराम प्रस्तावित करते हुए वार्ता के लिए समिति बनाने का आग्रह किया है.
- इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 241 नक्सली मारे गए, जिनमें कई बड़े नेता भी शामिल हैं.
दशकों से नक्सलवाद के साथ चल रहे संघर्ष में एक अहम मोड़ आया है, CPI (माओवादी) ने 2 पन्नों के एक ख़त में सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी तौर पर रोकने और केंद्र सरकार से शांति वार्ता करने की इच्छा जताई है. हालांकि अब तक इस चिट्ठी की पुष्टि नहीं हो पायी है. 15 अगस्त 2025 को जारी नक्सली केंद्रीय प्रवक्ता अभय के प्रेस नोट में यह घोषणा की गई है. पर्चे में कहा गया है कि पार्टी एक महीने तक हिंसा रोकने को तैयार है और सरकार से अपील की है कि बातचीत शुरू करने के लिए एक समिति बनाई जाए.
प्रवक्ता ने केंद्र से संवाद के लिए ईमेल आईडी भी साझा किया है. हालांकि ये खत महीने भर बाद सामने आया है. अभय ने सरकार से एक महीने का युद्धविराम लागू करने का अनुरोध किया है, ताकि जेल में बंद नक्सली नेताओं को भी विचार-विमर्श में शामिल किया जा सके. पत्र में चेतावनी दी गई है कि अगर इस दौरान पुलिस का दबाव और मुठभेड़ जारी रहे तो वार्ता प्रक्रिया पर असर पड़ेगा.
इस साल अकेले छत्तीसगढ़ में 241 नक्सली मारे गए हैं
यह घोषणा तब आई है जब पिछले कई महीनों से सुरक्षा बलों की कार्रवाई तेज़ रही है. पुलिस के मुताबिक, इस साल अकेले छत्तीसगढ़ में 241 नक्सली मारे गए हैं, जिनमें संगठन के महासचिव बसवा राजू (₹1.5 करोड़ इनाम घोषित), चलपति, रेणुका और सुधाकर जैसे बड़े नेता शामिल हैं. इनमें से 212 नक्सलियों को बस्तर संभाग, 27 को रायपुर के गरियाबंद में और 2 को दुर्ग संभाग के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में मारा गया. पिछले साल सुरक्षा बलों ने राज्य में 219 नक्सलियों को मार गिराया था.
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2026 तक नक्सलवाद का हो जाएगा सफाया- अमित शाह
यह नोट ऐसे समय आया है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में रायपुर में समीक्षा बैठक के दौरान घोषणा की थी कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद देश से पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा. शाह ने कहा था अब समय आ गया है कि वामपंथी उग्रवाद पर अंतिम प्रहार किया जाए, वह भी मजबूत और मजबूत रणनीति के साथ.
हालांकि, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि इस पत्र की प्रामाणिकता की फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है. एक अधिकारी ने कहा, “अगर यह सही साबित होता है तो उनके रुख में यह एक बड़ा बदलाव होगा.”