कोविड से हुई मौतों पर 50 हजार मुआवजा देने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात और महाराष्ट्र सरकार को इस केस में फिर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र को निर्देश दिया कि वो मुआवजे के वितरण में तेजी लाए. महाराष्ट्र सरकार को एक हफ्ते के भीतर उन सभी को मुआवजा देने को कहा गया है, जिनके आवेदन लंबित हैं. सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 87,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनमें से 8,000 आवेदन स्वीकार करने के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि 87 हजार में से आपने 8 हजार को ही दिया है? सरकार ने दावा किया कि 30 दिसंबर तक हम 50,000 आवेदनों पर मुआवजा वितरण करेंगे.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से 30 दिसंबर तक का समय मांगने पर आपत्ति जताई. SC ने महाराष्ट्र से एक हफ्ते में प्रक्रिया पूरी कर मुआवजा देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने योजना के व्यापक प्रचार की आवश्यकता पर जोर दिया है. अदालत ने कहा कि जब तक आम आदमी और गांवों में रहने वालों को व्यापक प्रचार नहीं दिया जाएगा, तब तक ऑनलाइन आवेदन कैसे करें, इसकी जानकारी नहीं ले पाएंगे. वहीं SC ने योजना और आवेदन प्रक्रिया के बारे में प्रचार करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करने के लिए गुजरात सरकार को फटकार लगाई है.
गुजरात सरकार के वकील ने कहा कि हमने ऑल इंडिया रेडियो पर प्रचार के लिए निर्देश दिए हैं. बेंच ने कहा कि ऑल इंडिया रेडियो कौन सुनता है? गुजरात ने कहा कि हमने लोकल रेडियो को भी दिया. SC ने पूछा स्थानीय अखबारों में विज्ञापन क्यों नहीं? आप आम आदमी को कैसे बताएंगे? वे 50,000 रुपये के मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. हम मामले की सुनवाई 15 दिसंबर को दोपहर 3:30 बजे करेंगे.तब तक सभी समाचार पत्रों में सभी जानकारी के साथ उचित विज्ञापन होने चाहिए. गुजरात ने कहा कि हम इसे कल तक निपटा लेंगे. इसे दूरदर्शन और स्थानीय चैनलों के जरिये भी बताएं.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच के इस मामले की सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में भी SC ने राज्य सरकारों को कोविड के कारण हुई मौतों के मुआवजे के भुगतान में देरी के लिए फटकार लगाई थी. अदालत ने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान की सरकारों को फटकार लगाई थी. अक्टूबर में, SC ने प्रभावित परिवारों को कोविड से हुई मृत्यु के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह नीति को मंज़ूरी दी थी.