अदालत ने स्कूलों से डीटीसी बस सेवाओं को वापस लिए जाने के खिलाफ याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

पीठ में न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल हैं. पीठ ने आगे कहा कि डीटीसी बसों के वापस लेने से माता-पिता के साथ-साथ छात्रों को भी परेशानी हो रही है और इस फैसले से सड़कों पर यातायात भी अधिक हो रहा है.

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पीठ ने कहा, ‘‘आप कोविड की स्थिति का लाभ नहीं उठा सकते. स्कूल भी बच्चों को ले जा रहे हैं. 
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूलों से डीटीसी बस सेवाओं को वापस लिए जाने के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर मंगलवार को सरकार से जवाब मांगा. न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अलेक्जेंडर की याचिका पर दिल्ली सरकार और दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को नोटिस जारी किया . इसके साथ ही पीठ ने प्रतिवादियों से उस सामग्री को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा जिसके आधार पर फैसला किया गया था. पीठ ने कहा कि निजी स्कूल दशकों से छात्रों के लिए परिवहन के तौर पर डीटीसी बसों का उपयोग कर रहे हैं.

पीठ में न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल हैं. पीठ ने आगे कहा कि डीटीसी बसों के वापस लेने से माता-पिता के साथ-साथ छात्रों को भी परेशानी हो रही है और इस फैसले से सड़कों पर यातायात भी अधिक हो रहा है.

दिल्ली सरकार के वकील समीर वशिष्ठ ने कहा कि केवल निजी स्कूल अपने छात्रों के लिए डीटीसी बसों का उपयोग कर रहे थे और यह व्यवस्था संविदात्मक थी. उन्होंने अदालत से कहा कि आम लोगों के लिए अधिक बसों की जरूरत है और निजी स्कूल अपने छात्रों के लिए अन्य निजी गाड़ियों का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘आप कोविड की स्थिति का लाभ नहीं उठा सकते. स्कूल भी बच्चों को ले जा रहे हैं. बच्चे भी आम लोगों में हैं. कोई यह नहीं कह रहा है कि आप इसे मुफ्त में करते हैं. आप अपने फैसले को सही ठहराने के लिए अपना रिकॉर्ड पेश करें.''

अदालत ने यह भी कहा, ‘‘ इससे (स्कूलों से डीटीसी बसों को हटाने के निर्णय) बच्चों और अभिभावकों को परेशानी हुई है क्योंकि बच्चों को लाने व ले जाने की जिम्मेदारी अभिभावकों पर आ गई है. इससे सड़कों पर यातायात भी बढ़ रहा है. नोटिस जारी करें.” मामले में अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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