अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में फैसला सुरक्षित रखा

अभियोजन पक्ष ने शनिवार को अपनी अंतिम लिखित दलीलें दाखिल कीं, जिसके बाद मामले की सुनवाई समाप्त हो गई. इसके बाद विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने मामले को फैसले के लिए आठ मई तक स्थगित कर दिया.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

विशेष एनआईए अदालत ने महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले में लगभग 17 साल बाद मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के उपरांत शनिवार को फैसला सुरक्षित रख लिया.
मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक में 29 सितंबर 2008 को हुए धमाके में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए.

अभियोजन पक्ष ने शनिवार को अपनी अंतिम लिखित दलीलें दाखिल कीं, जिसके बाद मामले की सुनवाई समाप्त हो गई. इसके बाद विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने मामले को फैसले के लिए आठ मई तक स्थगित कर दिया.

मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों का परीक्षण किया, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए थे. लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)की नेता प्रज्ञा ठाकुर- मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया.

इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा की गई थी, जिसे 2011 में एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया.

एनआईए ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद 2016 में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें ठाकुर और तीन अन्य आरोपियों श्याम साहू, प्रवीण टाकलकी और शिवनारायण कलसांगरा को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और उन्हें मामले में आरोप मुक्त किया जाना चाहिए.

एनआईए अदालत ने हालांकि साहू, कलसांगरा और टाकलकी को आरोप मुक्त कर दिया और फैसला सुनाया कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मुकदमे का सामना करना होगा.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Bihar Election 2025: Tejashwi Vs Owaisi में टकराव, Muslim Voters गुस्से में? | Polls
Topics mentioned in this article