अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर जुलाई में हो सकती है SC की संविधान पीठ में सुनवाई

Article 370 Abrogation: CJI एनवी रमना ने कहा कि वो 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुलाई में पांच जजों के संविधान का गठन करने की कोशिश करेंगे.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
Article 370 Abolition: अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर जुलाई में हो सकती है सुनवाई

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को लेकर अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर जुलाई में संविधान पीठ में सुनवाई हो सकती है. CJI एनवी रमना ने कहा कि वो 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुलाई में पांच जजों के संविधान का गठन करने की कोशिश करेंगे. वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने मामलों की जल्द सुनवाई की मांग की थी. सीजेआई ने कहा कि ये पांच जजों के संविधान पीठ का मामला है. शेखर नाफड़े ने पहले अगले हफ्ते सुनवाई की मांग की, लेकिन बाद में कहा कि इसे गर्मियों की छुट्टियों के बाद सुना जा सकता है. 

दरअसल, जम्मू-कश्मीर नई परिसीमन प्रक्रिया का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती दी गई है. याचिका में परिसीमन अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है. जम्मू-कश्मीर निवासियों ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की अधिसूचना असंवैधानिक है. यह वर्गीकरण के बराबर है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. केंद्र ने उन शक्तियों को हड़प लिया है, जो मूल रूप से भारत के चुनाव आयोग के पास हैं. 

याचिका में  केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का विरोध भी किया गया है. कहा गया है कि मार्च 2020 की अधिसूचना जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड राज्यों में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन करना 
अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है. ये याचिका जम्मू-कश्मीर के निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर की गई है.

Advertisement

दरअसल, परिसीमन का अर्थ है किसी देश या प्रांत में एक विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने का कार्य या प्रक्रिया केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटों सहित 107 से बढ़ाकर 114) करने के लिए गठित परिसीमन आयोग के खिलाफ याचिका दायर की गई है. दलील दी गई है कि परिसीमन की ये कवायद केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और धारा 63 के विपरीत है. याचिका में सवाल उठाया गया है की भारत के संविधान की धारा 170 में प्रावधान के अनुसार, देश में अगला परिसीमन 2026 के बाद किया जाएगा, फिर जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश को क्यों परिसीमन के लिए चुना गया है?

Advertisement

शेखर नाफड़े ने CJI रमना से कहा कि केंद्र जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने के लिए परिसीमन अभ्यास के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है इसलिए मामले की जल्द सुनवाई हो. 

Advertisement

 गौरतलब है कि 2019 में याचिकाओं को जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की संविधान पीठ को भेजा गया था. बेंच के सदस्यों में से एक जस्टिस सुभाष रेड्डी इस साल जनवरी में रिटायर हो चुके हैं जबकि CJI भी अगस्त में रिटायर होने वाले हैं इसलिए CJI को बेंच का पुनर्गठन करना होगा. 

अगस्त 2019 में केंद्र द्वारा जारी अधिसूचनाओं के लगभग 4 महीने बाद दिसंबर 2019 में 5 न्यायाधीशों के पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 के मामलों की सुनवाई शुरू हुई थी. मामले में एक प्रारंभिक मुद्दा उठा कि क्या 7 न्यायाधीशों की पीठ को मामले को भेजा जाना चाहिए क्योंकि पांच जजों के दो पीठों की राय में मतभेद था. 2 मार्च, 2020 के एक फैसले में, संविधान पीठ ने माना कि अनुच्छेद 370 के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने के मामले को एक बड़ी पीठ को संदर्भित करने की कोई जरूरत नहीं है. याचिकाओं पर 2 मार्च, 2020 के बाद से सुनवाई नहीं हो पाई है. फिर कोरोना के चलते अदालत में वर्चुअल सुनवाई शुरू हुई.

Advertisement
Featured Video Of The Day
What Is Sin Tax? क्या होता है पाप टैक्स और इस बार सरकार ने Cigarette, Liquor Prices कितने बढ़ाए?
Topics mentioned in this article