- कांग्रेस संसद के मानसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमले की सुरक्षा चूक और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग करेगी।
- बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस ने वोटरलिस्ट पुनरीक्षण अभियान को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।
- कांग्रेस सत्र में कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा, महिलाओं के खिलाफ अपराध और अहमदाबाद विमान हादसे जैसे मुद्दे भी उठाएगी।
अगले हफ्ते सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान सरकार की घेरेबंदी को लेकर कांग्रेस ने अभी से कमर कस ली है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई रणनीति समूह की बैठक के बाद पार्टी ने ऐलान किया कि सत्र के दौरान पहलगाम आतंकी हमले से जुड़े सुरक्षा चूक और ऑपरेशन सिंदूर पर अचानक ब्रेक लगा, साथ ही पाकिस्तान से सीजफायर के ऐलान को लेकर चर्चा के साथ–साथ प्रधानमंत्री के बयान की मांग की जाएगी.
बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि पहलगाम में 26 मांगों का सिंदूर उजाड़ने वाले अब तक कहां हैं? उनपर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? ऑपरेशन सिंदूर के तहत वीर जवानों के बढ़ते कदम के साथ पूरा देश गुनाहगारों को सजा देना चाह रहा था. तब ट्रंप का संदेश आया कि उन्होंने व्यापार के बदले सीजफायर करवा दिया है. ट्रंप अब तक 22 बार यह दावा कर चुके हैं. हम इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करेंगे.
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस चुनाव आयोग द्वारा राज्य में चलाए जा रहे वोटरलिस्ट विशेष पुनरीक्षण अभियान का मुद्दा भी संसद के बाहर और भीतर उठाएगी. प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग बिहार में जो कर रहा है, उससे लोकतंत्र को खतरा है. हम इस मुद्दे को उठाएंगे और साथ ही कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग, देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, अहमदाबाद विमान हादसा जैसे मुद्दे भी उठाए जाएंगे. प्रमोद तिवारी ने बताया कि सत्र को लेकर जल्द इंडिया गठबंधन की बैठक में विपक्षी दलों की साझी रणनीति बनाई जाएगी.
सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत पी चिदंबरम, जयराम रमेश, मनीष तिवारी आदि कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. हालांकि, विदेश में होने के कारण शशि थरूर इस बैठक में शामिल नहीं हुए जिन्होंने बीते कुछ दिनों में अपने बयानों से कांग्रेस के लिए असहज स्थिति बनाई हुई है. संसद सत्र के दौरान थरूर पर नजरें इसलिए रहेंगी, क्यूंकि जहां एक तरफ उनकी पार्टी सीजफायर को लेकर मोदी सरकार पर आक्रामक रहेगी. वहीं, थरूर इसपर सरकार का बचाव कर चुके हैं.