Digvijay Singh News: 2022 का फैसला 2025 में भी लागू नहीं! समझिए दिग्विजय का दर्द और कांग्रेस का मर्ज

कांग्रेस को दशकों से कवर कर रहे मनोरंजन भारती समझा रहे हैं कि कैसे संगठन स्तर पर कांग्रेस में नियुक्तियों में देरी हो रही है. पार्टी नेताओं से बातचीत के आधार पर ये है कांग्रेस के लिए प्रीस्किप्शन...

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कांग्रेस को आगे बढ़ाने में कहां पिछड़ रहे हैं बड़े नेता
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  • राहुल गांधी को ब्लॉक स्तर तक संगठन को मजबूत करने की जरूरत है और इसके लिए उन्हें अभी और काम करना होगा.
  • कांग्रेस को हर राज्य के लिए चुनाव प्रबंधन और संगठन सुधार के लिए समर्पित टीम और कोर कमिटी बनानी होगी
  • पार्टी में जवाबदेही और मेहनत करने वाले नेताओं की कमी स्पष्ट है, जिससे चुनावी प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है
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नई दिल्ली:

दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस में सुधार की जरूरत की बात कही और संगठनात्मक ढांचे में विकेंद्रीकरण की बात की है. तो आखिर किन सुधारों की तरफ इशारा कर रहे हैं दिग्विजय सिंह. ये समझने के लिए जानना जरूरी है कि कांग्रेस को क्या करने की जरूरत है या फिर ये जानना जरूरी है कि राहुल गांधी क्या कर रहे हैं?

उधर बूथ की तैयारी, यहां जिला स्तर पर मारामारी

यदि आपको या हमें इतना पता है कि कांग्रेस को फिर से खड़े होने की जरूरत है तो राहुल गांधी को भी पता होगा.कांग्रेस में राहुल गांधी ने संगठन सृजन प्रोग्राम चला रखा है जिसके तहत हर जिले में ज़िलाध्यक्ष की नियुक्ति की जा रही है.मध्यप्रदेश और हरियाणा में ये नियुक्तियां हो चुकी हैं. मध्यप्रदेश में इसी के तहत दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह जो विधायक हैं पहले मंत्री भी रह चुके हैं को गुना जिले का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है..हालांकि हरियाणा में ज़िलाध्यक्षों की नियुक्ति में 13 साल लगे लेकिन अभी भी हरियाणा में ब्लॉक स्तर पर अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है. उत्तर प्रदेश में ज़िलाध्यक्षों की नियुक्तियां होनी बाकी है और वो जल्दी करनी होगी क्योंकि वहां 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं. मेरा यहां ये सब बताने का मतलब ये है कि जहां बीजेपी बूथ कमिटी की बात करती है वहां पर आप अभी जिला स्तर या कहें ब्लॉक स्तर की नियुक्तियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं यानि संगठन सृजन को तेजी से लागू करना पड़ेगा.

2022 का फैसला 2025 में भी लागू नहीं

2022 में उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में यह तय हुआ था कि पार्टी में एक चुनाव मैनेजमेंट सिस्टम बनाया जाएगा जिसका काम हर साल राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाना और चुनाव से जुड़े तमाम चीजों की व्यवस्था या समीक्षा करना होगा मगर इस डिपार्टमेंट का क्या हुआ पता नहीं?

तो कांग्रेस को क्या चाहिए?

कांग्रेस की जानकारी रखने वाले कई लोगों का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष के अंदर संगठन को संभालने वालों की एक टीम होनी चाहिए.अभी भी कांग्रेस में संगठन महासचिव का पद हैं जिसपर के सी वेणुगोपाल विराजमान हैं. मगर एक आदमी से यहां काम नहीं होने वाला है. हर प्रदेश के लिए एक महासचिव और उत्तर,दक्षिण और उत्तर पूर्व राज्यों के लिए अलग अलग संगठन महासचिव होने चाहिए.जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां पर तैयारी साल भर पहले शुरू हो. हर राज्य के लिए एक कोर कमिटी चुनाव के साल भर पहले बने जो उस राज्य में संगठन, गठबंधन और उम्मीदवारों के स्क्रीनिंग तक का काम करे क्योंकि जो गठबंधन की बात करेगा उसे यह भी मालूम रहे कि जिस सीट के लिए वो अपने गठबंधन के दल से बात कर रहा है वहां से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा.

जवाबदेही और ज़िम्मेदारी लेने वालों की भी कमी

जैसे यदि पार्टी ने बिहार चुनाव के लिए किसी सीट की ज़िम्मेदारी दी है तो आप को वहां जा कर मेहनत करनी है ना कि होटल के कमरे में बैठे रहना है. कांग्रेस के साथ दिक्कत ये है कि उनके नेता मेहनत करने से कतराते हैं उनमें जीतने का जज़्बा कम होता जा रहा है..शायद लगातार हारने से ऐसा हो रहा हो .बहुत सारे लोग ऐसे नेताओं को स्लीपर सेल कहते हैं. कांग्रेस में ऐसे नेताओं के लिए यह शब्द मैंने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार कांग्रेस के दफ्तर सदाकत आश्रम में ही सुना .

प्रियंका को ताकत देनी होगी

कांग्रेस में सब कुछ व्यवस्थित करना ही सबसे बड़ी चुनौती है जैसा कि राहुल गांधी खुद कहते हैं कि उनकी पार्टी में जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र है या बोलने की आजादी है यहां मणिशंकर अय्यर से लेकर शशि थरूर तक के लिए जगह है. कांग्रेस में प्रियंका गांधी की सक्रियता बढानी होगी. प्रियंका की कांग्रेस कार्यकर्ताओं और लोगों में भी लोकप्रियता है मगर इस सबके लिए संगठन की मजबूती सबसे जरूरी है.

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फिर चाहिए 'अहमद पटेल'

हार से सीख लेकर नए लोगों को आगे लाने से ही पार्टी में नई ऊर्जा पैदा की जा सकती है, जैसा कि मध्यप्रदेश में जीतू पटवारी को कमान दे कर कांग्रेस ने उन्हें फ्री हैंड दे रखा है.उसी तरह के लोग कांग्रेस को हर प्रदेश में चाहिए.पिछले दिनों प्रियंका गांधी की मुलाकात प्रशांत किशोर से भी हुई है उससे क्या होता है यह भी देखने वाली बात है. एक बात और राहुल गांधी को एक ऐसा समर्पित व्यक्ति चाहिए जैसे सोनिया गांधी के लिए अहमद पटेल थे. कहने का मतलब है एक ऐसा व्यक्ति जो नेताओं से लेकर पत्रकारों तक के लिए उपलब्ध हो. हर व्यक्ति राहुल गांधी या प्रियंका गांधी से नहीं मिल सकता मगर वो उनके राजनीतिक सचिव से मिल ले तो उसे लगेगा कि उसकी बात ऊपर तक पहुंच जाएगी.कांग्रेस को सत्ता में आने के लिए इन तमाम चीजों के साथ साथ उन मुद्दों को भी लेकर आगे बढ़ना होगा जिससे आम आदमी जुड़ा हुआ है.

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