संसद के मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दौरान उच्च सदन यानी राज्य सभा (Rajya Sabha) में हंगामे की जांच समिति से कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने दूरी बना ली है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने सभापति को पत्र लिखकर कहा कि यह समिति, सांसदों को धमकाने का प्रयास है ताकि वे चुप रहें. उन्होंने कहा कि इससे लोगों के प्रतिनिधियों की आवाज दबेगी और सरकार को जो नहीं सुहाता, उसे दरकिनार कर दिया जाएगा. इसलिए कांग्रेस 11 अगस्त की घटनाओं की जांच के लिए समिति बनाने के खिलाफ है और ऐसी किसी भी समिति में अपना प्रतिनिधि मनोनीत नहीं करेगी.
सूत्रों के अनुसार, अन्य 17 विपक्षी दल भी इसी तरह का पत्र सभापति को लिख कर समिति में अपने सदस्यों के मनोनयन से इनकार करेंगे.सभापति ने चार सितंबर को खड़गे को फोन कर इस समिति में कांग्रेस का सदस्य मनोनीत करने का आग्रह किया था.राज्यसभा में 11 अगस्त को विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया था. इसके बाद सात मंत्रियों ने सभापति से मुलाकात कर दोषी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. खड़गे ने NDTV से बातचीत में कहा, ' राज्य सभा चेयरमैन वेंकैया नायडू 10 अगस्त और 11 अगस्त, 2021 को राज्य सभा में हुए हंगामे की जांच के लिए एक जांच समिति बनाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि कांग्रेस को भी मेंबर प्रोपोज़ करना चाहिए. मैंने राज्य सभा चेयरमैन से कहा है कि जांच समिति बनाने की आवश्यकता नहीं है. राज्य सभा स्थगित (adjourn)हो चुकी है. इस मसले को दोबारा उठाने से सांसद हतोत्साहित (Demoralise) होंगे.' उन्होंने कहा कि आम लोगों की अपेक्षा रहती है कि हम पेगासस स्पाइवेयर और नए कृषि कानूनों पर संसद में सरकार से सवाल पूछेंगे. कई विपक्षी सांसदों ने चर्चा के लिए नोटिस दिया थे. हमने पेगासस स्पाइवेयर का मुद्दा उठाया क्योंकि ये हमारी बोलने की स्वतंत्रता और हमारे मौलिक अधिका से जुड़ा मामला है. सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई. इसीलिए विपक्षी सांसद भावनाओं में बह गए थे. राज्यसभा का मॉनसून सत्र ख़त्म होने के साथ ही ये विवाद ख़त्म हो गया है. इस मसले को अब क्यों 'वापस खोलने' की कोशिश हो रही है? इस मसले को फिर से 'खोलना' ठीक नहीं है.
गौरतलब है कि पेगासस और कृषि कानून मामले को लेकर संसद का मॉनसून सत्र इस बार विपक्ष के हंगामे से बुरी तरह प्रभावित रहा था. इसके चलते ज्यादातर समय कामकाज नहीं हो सका था. नौबत यहां तक आई थी कि 'अनुचित आचरण' के लिए राज्यसभा के छह विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित करना पड़ा था. नियम 255 के तहत इन सांसदों को दिन भर के लिए निलंबित किया गया था. ये सांसद राज्यसभा में सदन के भीतर प्ले कार्ड लेकर हंगामा कर रहे थे और चेयरमैन के बार-बार कहने के बावजूद सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहे थे.
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