कॉलेजियम की मंजूरी के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे न्यायमूर्ति पंचोली, CJAR ने जताई आपत्ति 

न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर) ने जस्टिस बी वी नागरत्ना के असहमति नोट का खुलासा कर सार्वजनिक करने की मांग की है.

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  • सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्ति के कॉलेजियम निर्णय में असहमति जताने वाला नोट वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किया गया.
  • सीजेएआर ने जस्टिस बी वी नागरत्ना के असहमति नोट का सार्वजनिक रूप से खुलासा करने की मांग की है.
  • कॉलेजियम में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंचोली की नियुक्ति पर चार जजों के मुकाबले एक जज ने विरोध जताया था.
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सुप्रीम कोर्ट में एक जज की नियुक्ति की सिफारिश प्रक्रिया को लेकर एक संगठन कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स यानी CJAR ने आपत्ति जताई है. संगठन की आपत्ति है कि कॉलेजियम के बहुमत के निर्णय से असहमति जताने वाला नोट वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है. संगठन का कहना है कि ऐसा किया जाना शीर्ष अदालत में जजों की नियुक्ति की सिफारिश करने वाले जजों के बीच सहमति या असहमति में पारदर्शिता पर सवाल उठाता है. 

पारदर्शिता के अनुरूप नहीं 

न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर) ने जस्टिस बी वी नागरत्ना के असहमति नोट का खुलासा कर सार्वजनिक करने की मांग की है. सूत्रों के अनुसार सोमवार को हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश सर्वसम्मत नहीं थी.  पांच जजों के कॉलेजियम में जस्टिस नागरत्ना का असहमति नोट था. सीजेएआर ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए 25 अगस्त के हालिया कॉलेजियम बयान को निराशाजनक बताया है. संगठन का कहना है कि यह न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता के मानक के अनुरूप नहीं है. 

बंटा हुआ था निर्णय 

कॉलेजियम में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में पदोन्नत करने के संबंध में 4:1 का विभाजित निर्णय था. जस्टिस बी वी नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की नियुक्ति की सिफारिश पर असंतोष का मजबूत नोट दर्ज किया. इसमें साफ कहा गया कि उनकी नियुक्ति न्याय प्रशासन के लिए 'प्रतिकारक' होगी और कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता को नष्ट कर देगी. कॉलेजियम से अब तक हुई सिफारिशों में जस्टिस नागरत्ना का पहली बार ऐसा नोट आया है. 

इस साल मई के महीने में जस्टिस पंचोली की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव आया था. जस्टिस नागरत्ना ने 2023 में जस्टिस पंचोली का तबादला गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट करने से संबंधित बैठकों के मिनट्स भी संलग्न किए थे. उन्‍होंने कहा कि तबादले की प्रक्रिया भी नियमित नहीं लगती थी क्योंकि मौजूदा जजों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में भी जस्टिस पंचोली 57 वें नंबर पर हैं. गुजरात हाईकोर्ट मूल के दो जज अभी भी सुप्रीम कोर्ट में हैं. 

जल्‍द जारी होगा नोट 

सुप्रीम कोर्ट सूत्रों के मुताबिक जस्टिस नागरत्ना ने अपनी असहमति में कहा कि उनकी सिफारिश करते समय कई मेधावी और अधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों को दरकिनार कर दिया गया. उन्होंने आगे कहा है कि जस्टिस पंचोली का भविष्य में सीजेआई-शिप का कार्यकाल संस्थान के हित में नहीं होगा. जस्टिस नागरत्ना के असहमति नोट को वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किया गया जबकि उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि इसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए. 

सीजेएआर ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित न्यायिक नियुक्तियों के प्रस्तावों के भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा खुलासा किए जाने का स्वागत किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेजों ने महत्वपूर्ण विवरण प्रदान किए. इनमें उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि, उनके सेवारत या रिटायर जज के साथ रिश्ते नाते आदि के भी तथ्य और कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित नियुक्तियों का विवरण भी होता था जो सरकार के पास लंबित हैं. 

क्‍या हैं इसकी खामियां 

पारदर्शिता के इस स्तर ने कॉलेजियम प्रणाली में जनता के विश्वास को काफी हद तक बढ़ा दिया था. सीजेएआर ने कहा है कि हमें उम्मीद थी कि खुलासे का यह स्तर भविष्य की हर नियुक्ति के लिए आदर्श बन जाएगा. हालांकि 25 अगस्त को कॉलेजियम में पारित प्रस्ताव संकल्प में खामी को तीन बिंदुओं में बताया गया है- 

  • उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि के विवरण दिए बिना केवल नियुक्तियों के नामों का उल्लेख किया जाता है जैसा कि अभ्यास हुआ करता था.
  • सिफारिशें करने वाले कॉलेजियम का कोरम गायब है.
  • वरिष्ठताक्रम में काफी नीचे होने के बावजूद एक खास उम्मीदवार को वरीयता देने के मानदंड क्या थे इसका जिक्र सिफारिश में नहीं किया गया है. 
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