'कई दिनों से बिजली-पानी की सप्लाई नहीं, घरों में घुस रहे सांप' : चेन्नई में बाढ़ के चलते घरों में फंसे लोग

चेन्नई में भारी बारिश के चलते कई इलाकों में पानी भरा हुआ है. लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं.

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चेन्नई में अगले तीन दिन भी भारी बारिश के आसार हैं.
चेन्नई:

चेन्नई के एक परिवार ने उस वक्त राहत की सांस ली, जब नारायणपुरम में अपने घर में बंद योगनंदन ने एक होटल में चेक-इन करने का फैसला किया. दक्षिण चेन्नई में चेट्टीनाड एन्क्लेव के आसपास करीब 200 घरों में पानी घुसने पर पुलिस राहत कार्य के लिए आगे आई है. चेन्नई मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (सीएमडीए) द्वारा मंजूर लेआउट पर अनाई एरी झील के रास्ते पर बनाए गए इस एन्क्लेव में रहने वाले कई परिवारों ने घर छोड़ दिया है. क्योंकि इस साल भी यह इलाका बाढ़ की वजह से प्रभावित हुआ है.

योगनंदन ने कहा, 'पिछले चार दिनों से हमारे घर में  बिजली नहीं है. हम अब इस तरह नहीं रह सकते.'

वहीं, वासुदेवन का कहना है, 'हमने 2015 से इतना पानी का टैक्स दिया है, लेकिन कभी पानी नहीं मिलता. अब हमारे वॉशरूम में भी पानी नहीं है. कम से कम उन्हें इलाके में बिजली बहाल करने की कोशिश करनी चाहिए.'

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सुकन्या का कहना है, 'सांप हमारे घरों के अंदर आ जाते हैं, यह हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है.' वहीं, सोना ने बताया, 'यह एक बुरे सपने की तरह है. मेरे पिता की हाल ही में ब्रेन सर्जरी हुई थी. इमरजेंसी में हम उन्हें अस्पताल कैसे ले जाएंगे.'

इलका में चार दिन से बिजली नहीं होने पर आईआईटी की तैयारी कर रहे एंटनी जॉनसन को अपनी कक्षाएं छोड़नी पड़ी हैं. उसका कहना है, 'बिजली कटौती से मेरी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है.'

कॉलोनी में रहने वाले अरुण कैलाश का कहना है, 'यह कॉलोनी मंजूर लेआउट पर बनाई गई थी. पहले हमारे इलाके से पानी खुलेआम गुजरता था, लेकिन अब झीलों पर अतिक्रमण हो गया है. इसलिए यह समस्या है.'

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जब, विशेषज्ञ झील के पास के इलाकों को रिहायश में तब्दील करने का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं तमिलनाडु सरकार का दावा है कि पानी को निकालने के लिए नालियों को लेकर सक्रिय उपाय किए जा रहे हैं. 

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GeoAnalytics के प्रोग्राम मैनेजर भगत पी ने कहा, 'जब शहर बढ़ रहा है और सघन होता जा रहा है, तो पानी निकालने की नालियों को निकासी में अहम भूमिका निभानी चाहिए थी. ताकि बारिश होने पर जलभराव ना हो. लेकिन शहर में पानी की निकासी के लिए बनाई गई नालियां काम नहीं आ रही हैं, क्योंकि उन्हें वैज्ञानिक तरीके से डिजाइन नहीं किया गया.'

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