Exclusive: खुशी के आंसू, बर्थडे सेलिब्रेशन और पीएम मोदी को आभार... कटरा से श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन के यात्रियों NDTV से की दिल की बात

कश्मीरी पंडित मोहन लाल ने कहा कि ये वो कश्मीर है ही नहीं जो हमने अपनी ख़राब परिस्थितियों में छोड़ा था. आज बहुत विकास हो गया है और वो पुरानी दिक्कतें जैसे आतंकवाद सब कम हो गया है. मोदी सरकार ने जितना काम किया है, वो पहले किसी सरकार ने इतने सालों में नहीं किया है.

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कटरा से श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के अनुभव

कश्‍मीर:

चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे के 'चिनाब ब्रिज' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को देश को समर्पित कर दिया. साथ ही कटरा से श्रीनगर तक चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को भी हरी झंडी दिखा दी. कश्‍मीर की वादियों की सैर कराने वाली इस ट्रेन के चलने का लोगों बड़ी बेसब्री से इंतजार हर रहे थे. पहले दिन इस ट्रेन में कई लोगों ने सफर किया. इनमें से एक थी जायसवाल फैमिली, जो 6 साल के मोक्ष जायसवाल का जन्मदिन मनाने के लिए आया था. यहां उन्‍होंने केक भी काटा और वंदे भारत ट्रेन का लुत्‍फ भी उठाया. एक ही ड्रेस पहने बच्चों ने वादियों से गुजरती ट्रेन के हर पल का आनंद लिया. वहीं, परिवार के अन्‍य सदस्‍यों ने खूब मस्ती की. वहीं, ट्रेन में सफर करने वाले कश्‍मीरी पंडित मोहन लाल ने बताया कि जो काम अंग्रेज नहीं कर पाए, वो मोदी सरकार ने कर दिखाया है. इस ट्रेन में सवार लोगों से एनडीटीवी ने खास बातचीत की और उनके अनुभव जाने. ये जानने की कोशिश की कि कटरा से श्रीनगर तक के लिए शुरू हुई ये ट्रेन उनके लिए क्‍या मायने रखती है. ये ट्रेन उनकी जिंदगी में क्‍या बदलाव लाएगी.   

चिनाब ब्रिज सरकार के दृढ़ विश्वास 

बेंगलुरु से तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा कि यह सरकार के दृढ़ विश्वास को दर्शाता है और हमें इस पर बहुत गर्व है, क्योंकि वे समुद्र तल से 300 मीटर से भी ऊपर ट्रेन चला रहे हैं. यह नेचर  है. मैं बेंगलुरु से आया हू, जो कंक्रीट का जंगल है और यह जन्‍नत है... ईश्वर की नगरी है. जहां आप मातृभूमि की सुंदरता और पवित्रता देख सकते हैं. यह पुल और ट्रेन देश के बाकी हिस्सों के लिए एक संदेश है कि हम कैसे मानते हैं कि कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और इसलिए हर नागरिक इसके बारे में सोचता है. आप बेंगलुरु में कश्मीर की नकल नहीं कर सकते, किसी भी तरह से नहीं. कश्‍मीर, कश्‍मीर है. 

मैं PM मोदी का फैन नहीं, लेकिन...

कटरा से श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन में सफर करने वाले शांति स्वरूप ने बताया, 'मेरे लिए यह एक सपना सच होने जैसा है. मैं हर बार कटरा आता हूं और कश्मीर जाता रहा हूं, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि सिर्फ तीन घंटे में श्रीनगर पहुंच जाऊंगा. वह भी इतने कम खर्च में. कटरा से श्रीनगर सड़क से यात्रा करना एक बुरे सपने जैसा था, लेकिन अब यह एक सपना सच होने जैसा है. मैं यहां इसलिए आया, क्योंकि मैंने देखा कि पीएम मोदी इस ब्रिज का उद्घाटन करने वाले हैं. मैं पीएम मोदी का प्रशंसक नहीं हूं, लेकिन मुझे लगता है कि भारत टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर कर रहा है. मैं इनकम टैक्‍स क्षेत्र में काम करता हूं और आज हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उस पर मुझे बहुत गर्व है. विपक्ष आलोचना करे, लेकिन यह सच है कि हम अन्य देशों से बहुत आगे निकल गए हैं. मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता और मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान के लिए एक संदेश है कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं, लेकिन भारत उससे आगे भविष्‍य की ओर देख रहा है.' 

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अब सफर बेहद आसान हो गया है...

दीपक मल्‍होत्रा ने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा, 'इस ट्रेन में मेरा अनुभव बहुत अच्छा है और मैं भारत सरकार को कई बार धन्यवाद कहना चाहूंगा कि इतने सारे इंजीनियर्स ने इतनी मेहनत करके यह सुरंग बनायी. मुझे लगता है कि इसमें कितनी मुश्किल आयी होगी. इसके बावजूद इसे तैयार किया गया है. मैं लगातार श्रीनगर जाता रहता हूं, लेकिन हमारे लिए पहले श्रीनगर जाना 8 से 10 घंटे का सफ़र होता था. साथ ही सफर के दौरान काफी मुश्किलें भी आती थीं. थोड़ी-सी बारिश हुई, थोड़ा-सा भूस्खलन हुआ और रास्ते बंद हो जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आपको पूरा-पूरा दिन लग जाता था... हमें पहले सोचना पड़ता था कि आज सुबह जाएंगे रात को पहुंचेंगे फिर 2 दिन बाद लौटेंगे. लेकिन अब तो हम एक ही दिन में जाकर वापस आ सकते हैं और ख़र्चा भी कम हो गया है. जरा सोचिए, जब हमारे ख़ुद के मुख्यमंत्री ये कह रहे हैं कि जब वो बच्चे थे, तब वो इस बारे में सोचते थे और अब जब ये प्रोजेक्ट कंप्लीट हो गया है, तो कितनी ख़ुशी की बात है.'

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हमारे टैक्‍स का पैसा सही जगह लग रहा

कृष्‍ण गुप्‍ता को कटरा से श्रीनगर जाने वाली ट्रेन को लेकर काफी एक्‍साइटमेंट थी. वह बताते हैं, 'हमें वंदे भारत में आने का बहुत एक्साइटमेंट था और हमने फ़ैसला किया था कि हम पहली ट्रेन पर ज़रूर चढ़ेंगे. हमने कई बार कोशिश की थी टिकट कराने की, लेकिन बार-बार कैंसल होती रही. अब इंतज़ार ख़त्म हुआ है. हमने पहली ट्रेन की टिकट ली और पहली बार हम कश्मीर जा रहे हैं. अब मैं जब अमरनाथ यात्रा के लिए जाऊंगा, तो भी ट्रेन से ही सफर करूंगा. मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है. मुझे विश्वास है कि मैंने जितना भी टैक्स सरकार को दिया है, वो पैसा सही जगह जा रहा है. मोदी सरकार पर इसलिए हमें गर्व है, हमारा टैक्स का पैसा सही जा रहा है और मैं तो 5 से 10 पर्सेंट टैक्स और भी ज़्यादा देने को तैयार हूँ सिर्फ़ देश हित में.

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कश्मीरी पंडित की घर वापसी  

कश्मीरी पंडित यशिया जब वंदे भारत ट्रेन में चढ़ी, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था... खुशी के आंसू उनकी आंखों से झलक पड़े. उन्‍होंने कहा, मैं कश्मीरी हूं और मुझे वाकई गर्व महसूस हो रहा है कि मैं पहली बार कश्मीर जा रही हूं और इस ट्रेन का शुक्रिया जिसने पूरी यात्रा को बहुत आसान बना दिया है. मैं हमेशा सोचती थी कि मुझे नहीं पता कि मैं कब जाऊंगी. लेकिन मुझे बहुत गर्व है कि मैं आखिरकार अपने गृहनगर कश्मीर जा पाई हूं.

जो अंग्रेज नहीं कर पाए, वो मोदी जी ने कर दिखाया

कश्मीरी पंडित मोहन लाल इस ट्रेन में बैठकर बहुत भावुक हो गए. उन्‍होंने कहा, 'मैंने जब पीएम मोदी को चिनाब नदी पर ब्रिज पर तिरंगा लेकर चलते देखा, तो मैंने फ़ैसला कर लिया कि मुझे इस पहली ट्रेन में जाना है. मुझे कश्मीर में चिनाब पुल पर इस तरह किसी को तिरंगा लहराते हुए देखने से दिल को जो सुकून मिला है, उसे मैं शब्‍दों में बयां नहीं कर सकता हूं. मेरे लिए तो ये दशकों का इंतज़ार था और कश्मीरियों को ये तोहफ़ा है जो मोदी सरकार ने दिया है. मेरे तो आंसू निकल रहे हैं. मुझे रोना आ रहा है. मैं बहुत ही जज़्बाती हो रहा हूं. ये अंग्रेजों ने भी सपना देखा था, लेकिन इसे पूरा नहीं कर सके थे. लेकिन मोदी जी ने कर दिखाया है. इसके लिए मैं सिर्फ़ यही कह सकता हूं- जय हिन्द!'

कश्मीरी पंडित मोहन लाल ने कहा कि ये वो कश्मीर है ही नहीं जो हमने अपनी ख़राब परिस्थितियों में छोड़ा था. आज बहुत विकास हो गया है और वो पुरानी दिक्कतें जैसे आतंकवाद सब कम हो गया है. मोदी सरकार ने जितना काम किया है, वो पहले किसी सरकार ने इतने सालों में नहीं किया है. इससे ज़्यादा क्या सुबूत चाहिए आपको, रेलवे ट्रैक बन गया है, जो आज़ादी से लेकर अब तक नहीं बना था. एक कश्मीरी का मोदी साहब को सिर्फ़ एक ही संदेश है कि मोदी साहब ज़िंदाबाद, ये हमारा ताज है और इसे हमें वापस देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

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