केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, मणिपुर हिंसा मामले में क्‍यों हो सीबीआई जांच...?

गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के जरिए दाखिल हलफनामे में शीर्ष न्यायालय से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया, ताकि मुकदमे की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके.

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नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार मणिपुर हिंसा मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराना चाहती है. गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के जरिए दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया, ताकि मुकदमे की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके. मुकदमे की सुनवाई किसी भी राज्य के बाहर स्थानांतरित करने का अधिकार केवल इस अदालत को है और केंद्र सीबीआई द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने की तारीख से लेकर छह महीने की सीमा के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का निर्देश देने का इस अदालत से अनुरोध कर रहा है.

मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. गृह मंत्रालय ने 27 जुलाई को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. केंद्र ने अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध करते हुए कहा, "केंद्र सरकार वर्तमान जैसे अपराधों को बहुत जघन्य मानती है, जिन्हें न केवल उतनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए, बल्कि न्याय भी होना चाहिए, ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में पूरे देश में इसका प्रभाव पड़े. यही एक कारण है कि केंद्र सरकार ने (राज्य सरकार की सहमति से) जांच एक स्वतंत्र जांच एजेंसी यानी सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है." 

मणिपुर के वायरल वीडियो मामले में अभी तक पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. वीडियो बनाने वाले शख्‍स भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया है. और उस मोबाइल फोन को भी बरामद कर लिया गया है, जिससे वीडियो बनाया गया था. इस मामले में आखिरी गिरफ्तारी थॉबल जिले से की गई थी.

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सुप्रीम कोर्ट में आज मणिपुर हिंसा मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के उपलब्‍ध न रहने की स्थिति में आज सुनवाई न हो सकी. शीर्ष न्यायालय ने 20 जुलाई को घटना पर संज्ञान लिया था और कहा था कि वह वीडियो से ‘बहुत व्यथित' है और हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है.' प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र तथा मणिपुर सरकार को तत्काल उपचारात्मक तथा एहतियाती कदम उठाने तथा उन कदमों की जानकारी उसे देने का निर्देश दिया था.

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मणिपुर का दिल दहला देने वाला वीडियो संसद के मानसून सत्र से कुछ समय पहले ही सामने आया. इसके बाद सड़क से संसद तक इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी. विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. विपक्ष की मांग है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है. ऐसे में संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही कई दिनों से बाधित हो रही है. 

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