सब दल सोचते ही रह गए, 'क्रीमी लेयर' पर स्टैंड लेकर BJP ने ले लिया अडवांटेज!

केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में 'क्रीमी लेयर' के प्रावधान पर अपना रुख साफ कर दिया है.

Advertisement
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) में 'क्रीमीलेयर' बनाने के सुझाव पर सरकार ने शुक्रवार को अपना स्टैंड साफ कर दिया. कैबिनेट बैठक के बाद सरकार ने संविधान का हवाला दिया और  साफ संकेत दिया कि आरक्षण के सिस्टम से छेड़छाड़ का उसका कोई इरादा नहीं है. सियासी तौर पर इस बेहद संवेदनशील मसले पर प्रमुख विपक्षी दलों की चुप्पी के   बीच सरकार के इस स्टैंड को एडवांटेज लेने के तौर पर देखा जा रहा है.सरकार ने इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह आरक्षण के मसले पर दलितों और पिछड़ों के साथ खड़ी है. दरअसल इस फैसले के जरिए सरकार ने दो तरफ से बढ़त लेने की कोशिश की है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की इस लाइन के बड़े हैं मायने

'बीआर आंबेडकर के संविधान के अनुसार एसी-एसटी के आरक्षण में क्रिमीलेयर का कोई प्रावधान नहीं है.' यह लाइन शुक्रवार देर रात कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते केंद्रीय सूचना प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कही. इस लाइन को गौर से पढ़ेंगे तो कई चीजें समझ आती हैं. इसमें बाबा साहेब बीआर आंबेडकर की भी बात है, संविधान का भी जिक्र है और साफतौर पर पूरी लाइन का निचोड़ यही है कि पार्टी दलितों के साथ मजबूती से खड़ी है और संविधान में शामिल उनके हितों की रक्षक है. ऐसे में अब विपक्षी दलों के लिए सरकार पर दलित या संविधान विरोधी होने का आरोप लगाना मुश्किल होगा. बीजेपी अपने इस फैसले के जरिए जवाब दे सकती है.

आगामी चुनावों में बीजेपी इस मूव के जरिए दलितो हितों की हितैषी पार्टी के तौर पर खुद को और मजबूती से स्थापित करने की कोशिश करेगी. इसके साथ ही संविधान की बात कर बीजेपी ने विपक्ष की काट भी खोज ली है, जो उस पर चुनाव से लेकर संसद तक लगातार संविधान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए घेर रहा था. हालांकि आपको ये भी बता दें कि केंद्र सरकार ने साफ तौर पर 'क्रीमी लेयर' को लेकर कुछ नहीं कहा है लेकिन जिस तरह की टिप्पणी केंद्रीय मंत्री ने किया है उसे इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.

ऐसे में केंद्र सरकार ने ये तो साफ कर दिया है कि इस मुद्दे पर उन्होंने सबसे पहले स्टैंड लेकर ये साफ कर दिया है कि वो फिलहाल इस तरह का कोई प्रावधान लागू करने नहीं जा रही है. केंद्र सरकार का यह रुख इसलिए भी बेहद खास हो जाता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर ऐसा कहा जाने लगा था कि 'क्रीमी लेयर' का प्रावधान किया गया तो इससे एक बड़ा वर्ग नाराज हो सकता है. 

क्रीमी लेयर को लागू करने का क्या है मतलब ? 

सरल शब्दों में अगर 'क्रीमी लेयर' के प्रावधान को समझाने की कोशिश करें तो हम इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/STs) के तहत आरक्षण का फायदा लेते हुए जो लोग अब समृद्ध और संपन्न हो चुके हैं, उन्हें अब पहले की तरह ही आरक्षण का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा. जबकि इन जातियों में जो लोग अभी गरीब हैं या पिछड़े हैं उन्हें संपन्न लोगों की तुलना में अब ज्यादा आरक्षण दिए जाने का प्रावधान करने की बात की जा रही है.सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण देते समय ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें 'क्रीमी लेयर' में रखने की बात कही थी जो लोग आरक्षण लेने के बाद अब बेहद संपन्न हो चुके हैं.

Advertisement

संविधान की बात कर केंद्र ने विपक्ष को दिया करारा जवाब ?

केंद्र सरकार ने'क्रीमी लेयर' को जो जवाब दिया है उससे सरकार ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा है. आपको बता दें कि इसी साल हुए आम चुनाव और उसके शुरू होने से कुछ महीने पहले से विपक्षी दलों का कहना था कि अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर सरकार में वापसी करती है तो वह संविधान को बदल देगी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर को लेकर जो जवाब दिया है. उससे ये साफ है कि सरकार के लिए संविधान ही सर्वोपरी है और वह संविधान में दर्ज प्रावधानों के तहत ही कोई फैसला ले रही है. ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा संविधान को लेकर सरकार के खिलाफ जो नेरेटिव सेट किया जा रहा है उसे भी अब सरकार ने पूरी तरह से नाकार दिया है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
One Nation One Election से कितना बदल जाएगा भारत का चुनाव? विधानसभाओं के बचे Term का क्या होगा?